Lucy Wills : Google ने Doodle बना कर प्रसिद्ध रक्त विशेषज्ञ को किया याद, भारत से था खास रिश्ता
गूगल अपने डूडल फीचर के ज़रिये समय समय पर हमें महान लोगो और इतिहास के महत्वपूर्ण दिनों के बारे में याद दिलाता रहता है। Google ने आज भी अपना डूडल किसी प्रसिद्द हस्ती को ही समर्पित किया है। हम बात कर रहें हैं रक्त विशेषज्ञ लूसी विल्स की जिन्होंने दुनिया भर की गर्भवती महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण शोध किया था जिसमें उन्होंने शिशु के जन्मपूर्व दोषों को रोकने में मदद करने वाले फोलिक एसिड की खोज की थी, इसके साथ ही लूसी का भारत से भी एक ख़ास रिश्ता रहा है। आज Google Doodle हेमोटोलॉजिस्ट Lucy Wills का 131वां जन्मदिन मन रहा है। इसके लिए गूगल ने कलरफुल डूडल बनाकर लूसी को अपनी लैब में काम करते हुए दिखाया है। डूडल में टेबल पर रखी ब्रेड और चाय भी नज़र आ रही है।
Doodle बना कर Lucy Wills को दिया सम्मान
Lucy Wills का जन्म 10 मई 1888 में इंग्लैंड में हुआ था, लूसी ऐसे समय में बड़ी हुई जब पढाई की की इच्छा रखने वाली युवा महिलाओं के लिए शैक्षिक अवसर में सुधार हो रहा था। लूसी ने चेल्टेनहम कॉलेज ऑफ यंग लेडिज से अपनी पढाई की। यह कॉलेज उन दिनों विज्ञान और गणित विषय में महिला छात्रों को प्रशिक्षित करने वाले पहले ब्रिटिश बोर्डिंग स्कूलों में से एक था। इसके बाद वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के न्यूहैम कॉलेज में वनस्पति विज्ञान और भूविज्ञान का अध्ययन करने के लिए चली गईं, 1911 में एक प्रमाण पत्र प्राप्त किया क्योंकि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय 1948 तक महिलाओं को डिग्री प्रदान नहीं करता था।
1915 में, उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन फॉर वूमेन में दाखिला लिया और एक मेडिकल प्रैक्टिशनर बन गईं। 1920 में चिकित्सा और विज्ञान में स्नातक उपाधि करने के बाद उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र को न चुन कर शोध कर मानवता को अपना जीवन समर्पित किया। लूसी ने अपने जीवन में दो महत्वपूर्ण खोजे की थीं। उन्होंने गर्भवती महिलाओं में खून की कमी से होने वाली बिमारी एनीमिया पता लगाया था और फॉलिक एसिड के बारे में भी उन्होंने ने ही खोज की थी।
Lucy Wills साल 1928 में लूसी मुंबई आयी थी उसी दौरान उन्होंने गर्भवती महिलाओं को हो रहे गंभीर बीमारी एनीमिया के बारे में एक शोध में पता लगाया। शोध में उन्हें पता चला कि इस बिमारी का मूल कारण गर्भवती को दिया जा रहा ख़राब आहार है। उन्होंने सबसे पहले एक्सपेरीमेंट चूहों और बंदरों पर किया। जिसमे उन्होंने एनीमिया रोकने के लिए खाने में खमीर का प्रयोग किया। इसके बाद से ही खाने में मिलाए जाने वाले खमीर को बाद में फॉलिक एसिड के नाम से जाना जाता है।
1964 में 75 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई थी, उन्होंने कभी शादी नहीं कि क्योंकि प्रथम विश्व युद्ध में उनकी उम्र के अधिकांश पुरुषों की मृत्यु हो गयी थी।