Success Story : सब्जी के ठेले पर परिवार का हाथ बंटाने से लेकर सिविल जज बनने तक का सफ़र, कुछ ऐसा रहा अंकिता का सफ़र
Success Story : लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती….सोहनलाल द्विवेदी (Sohanlal Dwivedi) द्वारा लिखी गई उक्त पंक्तिया मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की बेटी के जीवन और उनके संघर्षों की कहानी पर एकदम सटीक बैठती है। आज हम आपको एक ऐसी शख्स की कहानी (Story) से रुबरु कराने जा रहे, जो आपको जीवन में कठिन से कठिन परिस्थियों से लड़कर आगे बढ़ने की प्रेरणा (Insprestion) देगी। ये कहानी (Success Story) है एक ऐसी लड़की की सिविल जज (Civil Judge) एग्जाम में अपने एससी कोटे (SC) में पांचवां स्थान (Rank) प्राप्त किया है और अब सिविल जज बनकर उन्होंने परिवार का नाम रौशन किया है। लेकिन एग्जाम पास करने से लेकर उनके सिविल जज बनने तक का सफर इतने संघर्षों से भरा रहा कि इसे जानकर हर कोई अपने लक्ष्यों (Goal) को पाने के प्रेरित (Inspire) होगा और उनके जज्बे को सलाम करेगा। तो चलिए जानते है आखिर कौन है ये…
Success Story : फॉर्म भरने तक के पैसे नहीं थे
वो कहते न कि अगर मन में कुछ कर गुजरने की चाह और जुनून हो तो कठिन से कठिन परिस्थियां भी आपके हौंसला को नहीं डिगा सकती। इंदौर (Indore) की रहने वाली अंकिता नागर (Ankita Nagar) भी कुछ ऐसे ही जिनके अंदर कुछ कर गुजरने का जो जज्बे ने आज उन्हें सिविल जज बना दिया। एक वक्त में अंकिता (Ankita) के पास फॉर्म भरने तक के पैसे नहीं थे, उन्हें माता-पिता के साथ सड़क पर सब्जी तक बेचनी पड़ी। बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मेहनत करती रही. अब सिविल जज बनकर उन्होंने परिवार को गौरवान्नित किया है।
माता-पिता के सब्जी के ठेले पर हाथ बटाती
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अंकिता (Ankita) ने सिविल जज एग्जाम में अपने एससी कोटे में पांचवां स्थान प्राप्त किया है। इंदौर (Indore) के एक निजी कॉलेज से उन्होंने LLB किया हुआ है। इसके बाद 2021 में LLM क्लियर किया। अंकिता के घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के बावजूद उनके परिवार ने उनका पूरा साथ दिया और डटकर लड़ना सिखाया। अंकिता ने भी सभी मुसीबतों का जमकर सामना किया। वे प्रतिदिन 8 घंटे तक पढ़ाई करती थीं। उनके पिता अशोक नागर (Ashok Nagar) सब्जी का ठेला लगाते हैं। अंकिता (Ankita) भी समय निकालकर सब्जी के ठेले पर परिवार का हाथ बटाती रहीं। वहीं उनका भाई आकाश मजदूरी करता है। गरीब परिवार में जन्मी अंकिता (Ankita) को कुछ कर दिखाने का जुनून था।
Success Story : मां से 300 रूपये लिए थे उधार
अंकिता तीन साल से सिविल जज की तैयारी कर रही थीं। सफलता न मिलने पर उनके परिवार ने उनके हौसलों में कमी नहीं होने दी। उन्होंने उनका बहुत सपोर्ट किया। वहीं अंकिता (Ankita) जब इस बार फॉर्म भर रही थीं। तब उसकी फीस 800 रूपये थी। घर में सिर्फ 500 रूपये थे। तब उनकी मां ने 300 रूपये उधार लेकर अंकिता को दिया था। आखिरकार उनकी मेहनत अब जाकर रंग लाई और अंकिता को सफलता (Success Story) हासिल हुई। उनके रिजल्ट आने के बाद परिवार में ख़ुशी का ठिकाना नहीं है। उन्होंने सबसे पहले यह खुशखबरी अपनी मां को दी।
Success Story : माता-पिता ने पढ़ाई के लिए लिया था उधार
अंकिता के माता-पिता ने एक मीडिया इंटरव्यू के दौरान बताया कि अंकिता की पढ़ाई के लिए हमें कई बार दूसरों से उधार लेना पड़ा। अंकिता ने जिस तरह से संघर्ष (Struggle) किया है उनका यह सफर करोड़ो नौजवानों के लिए प्रेरणास्रोत (Inspiration) हैं।
वहीं एक मीडिया इंटरव्यू में अंकिता बताती हैं कि रिजल्ट एक सप्ताह पहले आ चुका था, लेकिन रिश्तेदारी में किसी की मौत हो गई थी तो परिवार गम में शरीक था. इसलिए तब यह खुशखबरी हमने छुपाई रखी, लेकिन सबसे पहले अपनी मां को अपने Selection की खुशखबरी सुनाई। उन्होंने बताया कि उनका घर बहुत छोटा है. एक छोटे कमरे में वो पढ़ाई करती थी। कमरे में लगे पतरे गर्मी में इतने गर्म हो जाते थे कि पसीने से उसकी किताब (Books) भी भीग जाती थी। बारिश में बरसात का पानी टपकता था, लेकिन कुछ दिनों पहले बड़े भाई आकाश ने अपनी मजदूरी से धीरे-धीरे पैसे बचाकर एक कूलर लाकर दिया था।
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