मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से जुड़े हैं कई रहस्य, विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया
Youthtrend Religion Desk : त्रेता युग से लेकर कलयुग तक हनुमान जी ही ऐसे भगवान है जो हर युग में मौजूद हैं, बजरंगबली, हनुमान, अंजनीसुत, पवनपुत्र, महावीर, केसरी नंदन, बाला जी ऐसे बहुत से नाम हैं हनुमानजी के, पूरे देश में हनुमान जी की अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी के अंदर पांच देवताओं के तेज का समावेश हैं, राम भक्ति से प्रसन्न होकर सीता माता ने हनुमान जी को अमर रहने का वरदान दिया था, हनुमान जी में अतुलनीय बल होने के कारण इन्हें बालाजी का नाम दिया गया हैं।
हनुमान जी भगवान शिव के 11वें अवतार हैं और कलयुग में सबसे ज्यादा पूजा हनुमान जी की ही जाती हैं वैसे तो हनुमान जी के देश भर में अलग-अलग स्वरुप के मंदिर स्थित हैं बहुत से ऐसे मंदिर भी हैं जो अपने चमत्कार के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं आज हम उनमें से एक काफी प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर के बारें में आपकों बताने जा रहें हैं जिसका नाम हैं मेहंदीपुर बालाजी मंदिर।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर
राजस्थान राज्य के दौसा जिले में स्थित हैं बालाजी का ये चमत्कारी मंदिर, ये मंदिर दो पहाड़ियों के बीच एक घाटी पर स्थित हैं इसलिए इस मंदिर को घाटा मेहंदीपुर बालाजी भी कहते हैं, यहां हनुमान जी बालाजी रूप में विराजमान हैं। जानकारी के अनुसार ये मंदिर लगभग 1000 साल पुराना हैं कहा जाता हैं कि इस मंदिर में स्थापित बालाजी की मूर्ति किसी के द्वारा तैयार नहीं की गई हैं बल्कि ये अपने आप धरती में से प्रकट हुई थी।
बालाजी की इस स्वंयभू मूर्ति के इर्द गिर्द बाकी मंदिर का निर्माण करवाया गया, बालाजी की मूर्ति में बाईं तरफ से एक सूक्ष्म छिद्र से पवित्र जल की धारा निरंतर रूप से बहती रहती हैं और बालाजी के चरणों में स्थित एक जल कुंड में एकत्रित होता रहता हैं इस जल को भक्तगणों को भगवान के चरणामृत के रूप में दे दिया जाता हैं। वैसे तो इस मंदिर में पूरे साल ही भक्तों का ताँता लगा रहता हैं लेकिन हर मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती हैं
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क्या हैं मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास
बताया जाता हैं कि जहां आज बालाजी का भव्य मंदिर स्थित हैं बहुत सालों पहले वहां एक घना जंगल हुआ करता था और जंगलों में बहुत से जंगली जानवर भी रहा करते थे, एक बार की बात हैं कि श्री महंत जी को एक स्वप्न दिखा और महंत जी सपने में ही कही चल दिए। वो कहीं जा रहें थे जिसके बारें में उन्हें खुद नहीं पता था तभी उन्होंने एक बहुत ही अनोखी लीला दिखी जिसमें हजारों दीपक कहीं से जलते हुए उनकी तरफ आ रहें थे और उनके साथ-साथ हाथी, घोड़े की आवाज के साथ-साथ बहुत बड़ी फौज भी आ रहीं थी।
उस फौज के प्रधान सेवक ने अपने घोड़े से उतरकर महंत जी को बालाजी महाराज की तीन मूर्तियां दी और उन्हें प्रणाम करके वापस चले गए। ये देख कर महंत जी हैरान रह गए थे और उन्हें डर भी लग रहा था उसके बाद गोसाई जी वापस आ गए और बार-बार इसी विषय में सोचते रहें। जैसे ही उनकी आंख लगी, उन्हें फिर से सपने में वहीं तीन मूर्तियां दिखाई दी और उनके कानों में आवाज आई कि उठो और मेरी सेवा का भार ग्रहण करों। गोसाई जी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था और अंत में उन्हें हनुमान जी ने दर्शन दिए और पूजा करने के लिए कहा।
फिर अगले दिन महंत जी उन मूर्तियों के पास गए तब उन्हें चारों तरफ से घंटे और नगाड़ों की आवाज आने लगीं पर उन्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, बाद में फिर गोसाई जी ने आस-पास के लोगो को इकट्ठा किया और इस पूरे घटनाक्रम के बारें में बताया जिसके बाद गोसाई जी और गांव के सभी लोगों ने मिलकर बालाजी महाराज का एक छोटा सा मंदिर बना दिया और फिर पूजा भी होने लगी।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर । जब स्टेशन मास्टर ने बालाजी के चोले का मांगा किराया
जब देश में अंग्रेजो का शासन था तो 1910 में बालाजी महाराज ने अपना सालों पुराना चोला खुद ही त्याग दिया, जिसके बाद बालाजी के भक्त चोले को गंगा में प्रवाहित करने के लिए ट्रेन के द्वारा ले जाने के लिए नजदीकी स्टेशन मंडावर पहुंचे। स्टेशन पर मौजूद ब्रिटिश स्टेशन मास्टर ने चोले को ले जाने के लिए शुल्क अदा करने के लिए कहा। स्टेशन मास्टर उस चोले का वजन तोलने लगा, कभी चोले का वजन अपने आप ज्यादा हो जाता तो कभी कम हो जाता, इस घटना से स्टेशन मास्टर परेशान हो गया और उसने बालाजी महाराज के चोले को बिना किसी शुल्क के जाने दिया।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर । चमत्कारों से भरा मंदिर
पूरी दुनिया में बालाजी का ये मंदिर भूतप्रेत, ऊपरी बाधा इत्यादि के निवारण के लिए प्रसिद्ध हैं, जिस व्यक्ति पर किसी तरह की तंत्र-मंत्र शक्ति हावी होती हैं तो उसका भी इलाज बालाजी महाराज के दरबार में हो जाता हैं, बालाजी मंदिर में बालाजी के अलावा श्री प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान श्री भैरव देव भी विराजमान हैं। जिस व्यक्ति के ऊपर भूतप्रेत का संकट होता हैं उसे मंदिर में तीनों देवताओं को प्रसाद चढ़ाना चाहिए, बालाजी महाराज को लड्डुओं का, श्री प्रेतराज सरकार को चावल का और श्री भैरव जी को काले उड़द का भोग लगाया जाता हैं।
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मेहंदीपुर बालाजी मंदिर । प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान
बालाजी के मंदिर में प्रेतराज सरकार को दंडाधिकारी की उपाधि दी गई हैं इनकी आराधना बालाजी महाराज के सहायक देवता के रूप में होती हैं प्रेतराज सरकार का मुख्य कार्य दुष्ट आत्माओं को दंड देना होता हैं बहुत से लोग यहां आकर घबरा जाते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हैं इसके अलावा बहुत से लोगों का ये मानना होता हैं कि जिन लोगों पर कोई बाधा होती हैं उन्हें ही यहीं आना चाहिए तो भी ये धारणा बिल्कुल गलत हैं क्योंकि बालाजी महाराज के मंदिर में कोई भी भक्तगण आ सकता हैं। कोतवाल कप्तान श्री भैरव देव बालाजी महाराज की सेना के मुखिया हैं