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कन्या भ्रूण हत्या : काशी के संतोष हैं 66 हजार बेटियों के पिता, मोक्ष की कामना के लिए हर साल कराते है श्राद्ध

Inspiration Story : जहां एक ओर लोग कन्या भ्रूण हत्या (Female Infanticide) जैसा जघन्य अपराध करते है और बेटी के जन्म के पहले ही उनकी गर्भ में हत्या कर देते है। वहीं दूसरी एक ऐसा भी शख्स है, जो इन अजन्मी बेटियों की मोक्ष की कामना के लिए पितृपक्ष (Pitru Paksha) में इनका पिता बनकर श्राद्ध कराता है। देखा जाए तो आज भी हमारे समाज में ऐसे बहुत से लोग है जो ये पाप करने में जरा भी नहीं हिचकिचाते। वाराणसी के संतोष ओझा (Santosh Ojha) ऐसे लोगों के लिए एक मिसाल है, जो इस कुकर्म को अंजाम देते है। आइए आज हम आपको इनकी कहानी से रूबरु कराते है, जिनके बारे में जानकर शायद ऐसा कर रहें लोगों में थोड़ी जागरूकता (Awareness) आ जाए।

कन्या भ्रूण हत्या : 66 हजार अजन्मी बेटियों का करा चुके है श्राद्ध

कन्या भ्रूण हत्या

हम बात कर रहे है वाराणसी के निवासी संतोष ओझा की, जो उनलोगों के लिए मिसाल है, जो अपनी अजन्मी बेटियों (कन्या भ्रूण हत्या) को कोख में ही मार देते है। संतोष दुनिया के ऐसे अनोखे पिता है, जो अब तक कम से कम 66 हजार बेटियों का श्राद्ध करा चुके है। संतोष हर साल पितृपक्ष की नवमी तिथि को इन मृत बोटियों काशी में श्राद्धकर्म करते हैं। बता दें कि पिछले 9 सालों से संतोष इन अजन्मी बेटियों का श्राद्ध करा रहे है, वे खुद को इनका पिता मानते है और उनका श्राद्ध कर मोक्ष की कामना करते है।

कन्या भ्रूण हत्या : शुरु में अपनों ने किया था विरोध

संतोष ओक्षा के एक समाजिक संस्था के संचालक भी है, जिसका नाम है आगमन। बता दें कि, उन्होंने जब अपने संस्था के जरिए जब इस अनूठे श्राद्ध पक्ष की पहल की थी तो उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा था, जिसमें उनका परिवार सबसे पहले था। इसके बावजूद उन्होंने इस पवित्र अनुष्ठान की शुरुआत की। बता दें कि आगमन समाजिक संस्था कन्या भ्रूण हत्या (female foeticide) के खिलाफ लागातार लोगों को जागरूक कर रहा है।

पांच ब्राह्मणों ने इस पहल ही शुरुआत

कन्या भ्रूण हत्या

बता दें कि इस श्राद्धकर्म की शुरुआत वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर पांच वैदिक ब्राह्मणों से कराई गई था। ब्राह्मणों ने शांति पाठ कर मंत्रोच्चारण के बीच पूरे विधि विधान से इस अनुष्ठान को पूरा कराया।

पिछले 9 सालों से करा रहें श्राद्धकर्म

अपने इस पहल को लेकर आगमन सामाजिक संस्था के सचिव सन्तोष ओझा ने बताया कि उनकी संस्था पिछले 9 सालों से उन अजन्मी बेटियों का श्राद्ध करा रही है। उन्होंने खुद को इन बेटियों का पिता बताया। उन्होंने बताया कि उन बेटियों की मोक्ष प्राफ्ति के लिए ये अनुष्ठान कराते है, जिनके अपनों ने ही उन्हें दुनिया में आने से पहले ही कोख में मार डाला। संतोष ने अब तक ऐसी कुल 66 हजार बेटियों का श्राद्धकर्म किया है और आगे भी करते रहेंगे।

बता दें कि महादेव की नगरी काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां जो लोग प्राण त्यागते है, उन्हें भगवान शंकर खुद मोक्ष देते है। वहीं पितृपक्ष के दौरान यहां श्राद्ध करने वालों का तांता लगा रहता है। इसी कारण इन अजन्मी बेटियों की मोक्ष प्राप्ति के लिए इनका काशी में प्रत्येक वर्ष श्राद्ध किया जाता है।

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