काशी के डोमराजा का निधन, नहीं पूरी हो पायी अंतिम इच्छा, पीएम मोदी ने ट्वीट कर जताया शोक
Youthtrend Varanasi Desk : वर्ष 2019 में पीएम मोदी के नामांकन में प्रस्तावक रहे काशी के डोमराजा जगदीश चौधरी (55 वर्ष) का आज मंगलवार की सुबह निधन हो गया। बताया जा रहा था कि डोमराजा काफी समय से जांघ में घाव की समस्या से परेशान थे। आज तबियत ज्यादा बिगड़ने पर सिगरा स्थित एक निजी अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया जहाँ पर उन्होंने काशी को अलविदा कह दिया। मणिकर्णिका घाट पर देर शाम उनके पुत्र ने उन्हें मुखाग्नि दी।
वाराणसी के डोम राजा जगदीश चौधरी जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है। वे काशी की संस्कृति में रचे-बसे थे और वहां की सनातन परंपरा के संवाहक रहे। उन्होंने जीवनपर्यंत सामाजिक समरसता के लिए काम किया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिजनों को इस पीड़ा को सहने की शक्ति दे।
— Narendra Modi (@narendramodi) August 25, 2020
अपने संसदीय क्षेत्र से यह दुखद समाचार सुनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर डोम राजा जगदीश चौधरी की मौत पर दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा 'वाराणसी के डोमराजा जगदीश चौधरी जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है। वे काशी की संस्कृति में रचे-बसे थे और वहां की सनातन परंपरा के संवाहक रहे। उन्होंने जीवनपर्यंत सामाजिक समरसता के लिए काम किया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिजनों को इस पीड़ा को सहने की शक्ति दे।'
काफी पुराना है डोमराजा का इतिहास
आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि काशी में डोमराजा परिवार का इतिहास सदियों पुराना है। मशहूर मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र श्मशान घाट पर वर्षों से इनके ही परिवार के सदस्य अंतिम संस्कार के लिए मुखाग्नि देने की प्रक्रिया करते आये हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि काशी में तक़रीबन पांच हजार लोग इनकी बिरादरी से जुड़े हैं।
काशी के लोकप्रिय हरिश्चंद्र घाट और मणिकर्णिका घाट पर ‘राम नाम सत्य है’ का उद्घोष, जलती चिताएं और दर्जनों की तादाद में डोम यहां की पहचान रहे हैं। डोमराजा और उनके अस्तित्व की कहानी पौराणिक गाथाओं में भी की गयी है जिसके अनुसार राजा हरिश्चंद्र ने खुद को श्मशान में चिता जलाने वाले कालू डोम को बेच दिया था। तब से डोम बिरादरी का प्रमुख यहां डोमराजा कहलाता है और चिता को देने के लिए मुखाग्नि उसी से ली जाती है।