Religion

Dhanteras 2022 : धनतेरस पर क्यों जलाते है यम का दीपक? बेहद दिलचस्प है कारण

Dhanteras 2022 : कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर हर साल धनतेरस (Dhanteras) का पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व होता है। इसे दिवाली से ठीक दो दिन पहले मनाने की परंपरा है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है। वहीं धनतेरस के दिन यम के नाम से भी दीपक निकाला जाता है, प्राचीन काल से ही सभी हिंदू घरों में इस दीपक को निकालने की प्रथा चली आ रही है, लेकिन क्या आप जानते है कि आखिर इस दिन (Dhanteras) ये दीपक क्यों जलाया जाता है। इसके पीछे क्या कारण है, तो चलिए आज आपको इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा के बारे में विस्तार रुप से बताते हैं…

Dhanteras 2022 : धनतेरस का महत्व

इस दिन भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी से घर में धन धान्य, निरोग और बरकत की कामना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन कुछ नया खरीदने से उसमें बढ़ोत्तरी होगी, साथ ही मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होगी। इसलिए लोग इस दिन नई वस्तुओं की खरीदी करते है। वहीं अकाल मृत्यु को लेकर भी इस दिन दीया जलाया जाता है, जिसे यम का दीपक कहते है। 

Dhanteras

Dhanteras : शुभ मुहूर्त

  • कार्तिक माह कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि आरंभ – 22 अक्टूबर 2022, शाम 6.02 से
  • कार्तिक माह कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि समाप्त – 23 अक्टूबर 2022, शाम 6.03 तक
  • पूजन का शुभ मुहूर्त – 23 अक्टूबर 2022 रविवार, 5.44 PM – 06.05 PM
  • शुभ मुहूर्त की कुल अवधि – 21 मिनट
  • प्रदोष काल: शाम 5 बजकर 44 मिनट से रात 8 बजकर16 मिनट तक।
  • वृषभ काल: शाम 6 बजकर 58 मिनट से रात 8 बजकर 54 मिनट तक।

Dhanteras : धार्मिक दृष्टि से है महत्वपूर्ण

बता दें कि Dhanteras के दिन यम की पूजा करना धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन यम के लिए आटे का चौमुखा दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में रखा जाता है। बता दें कि इस दीपक को जलाते समय ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह. त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’. मंत्र का जाप करना चाहिए है।

Dhanteras

जानें यम का दीपक निकालने से जुड़ी पौराणिक कथा

अब जानते है कि Dhanteras पर मृत्यु के देवता यम के नाम का दीपक क्यों निकाला जाता है। बता दें कि एक बार यम ने अपने दूतों से पूछा कि क्या तुम्हे प्राणियों के प्राण हरते समय किसी पर दया आती है? इस प्रश्न का जवाब देते हुए यमदूतों ने संकोच में कहा नहीं महाराज, तब यमराज ने उन्हें कहा डरो नहीं सच बताओ। तब यमदूतों ने बताया कि एक बार उनका दिल किसी के प्राण लेते वक्त वाकई में डर गया था। इसपर यम ने पूछा किसके प्राण हरते समय, तो दूतों ने यम को बताया कि एक बार हंस नाम का राजा शिकार के लिए गया और भटककर दूसरे राज्य की सीमा में चला गया। उस राज्य के शासक हेमा ने राजा हंस का बड़ा सत्कार किया। उसी दिन राजा हेमा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया था।

Dhanteras

ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके बताया कि यह बालक विवाह के चार दिन बाद मर जाएगा। राजा हंस के आदेश से उस बालक को यमुना के तट पर एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखा गया और आदेश दिया गया कि उस तक किसी स्त्री की छाया तक न पहुंचने पाये। फिर एक दिन राजा हंस की युवा बेटी यमुना के तट पर गई और उसने उस ब्रह्मचारी बालक से गंधर्व विवाह कर लिया। वहीं विवाह के चौथे दिन ही राजकुमार की मृत्यु हो गई, दूतों ने कहा महाराज हमने ऐसी सुंदर जोड़ी कभी नहीं देखी थी और उस महिला का विलाप देखकर हमारे आंसू भी निकल आये थे।

ऐसे शुरु हुई ये परंपरा

इस बात को सुन यमराज ने कहा, ‘धनतेरस के पूजन व दीपदान को विधिपूर्वक पूरा करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है। जिस घर में यह पूजन होता है, वहां अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है, जिसके बाद से अनंत काल के लिए धनतेरस के दिन धन्वन्तरि पूजन सहित दीपदान की करने की प्रथा का शुरु हुई जो अबतक चली आ रही है।

Dhanteras

हमसे जुड़े तथा अपडेट रहने के लिए आप हमें Facebook Instagram Twitter Sharechat Koo App YouTube Telegram पर फॉलो व सब्सक्राइब करें