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आखिर क्यों इतनी खास है काशी की देव दीपावली? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

हिन्दू कैलेंडर की तरफ गौर करें तो हमें ये मालूम होता है साल भर हमारे देश मे त्योहार ही त्योहार हैं। खास करके कार्तिक मास में। कार्तिक मास में बहुत सारे त्योहार मनाए जाते हैं। इन्ही सब में से एक त्योहार का नाम है देव दीपावली। देव दीपावली कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। अगर इस पर्व की बात करें तो ये लव दीपावली के पर्व के ठीक 15 दिन के बाद मनाया जाता है। इस बार दीपावली 27 अक्टूबर को थी उस हिसाब से जोड़ें तो देव दीपावली इस बार 12 नवंबर को पड़ रही है। वैसे तो इस पर्व को लोग कई जगहों पर मनाते हैं पर काशी में इस पर्व की रौनक अलग ही होती है। काशी को शिव जी की नगरी कहा जाता है। शिव जी की इस नगरी में इस पर्व के दौरान शिव और गंगा माता की पूजा की जाती है।

ऐसी मान्यता है कि इस देव दीपावली के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर दानव का वध किया था और जब ये वध हुआ तो इस दिन को देवताओं ने विजय दिवस के रूप में मनाया और दीपक जलाकर इसकी खुशी जाहिर की। मान्यता ये भी है कि इस दिन भगवान शिव का धरती पर अवतरण हुआ था। आइए आप आपको बताते हैं कि आखिर इस पर्व का क्या महत्व है और देव दीपावली मनाने का शुभ मुहूर्त क्या है।

काशी में क्यों मनाई जाती है देव दीपावली

आखिर क्यों इतनी खास है काशी की देव दीपावली? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

काशी में देव दीपावली मनाने के पीछे दरअसल एक पौराणिक कथा है। जिसके मुताबिक भगवान शिव के बेटे कार्तिकेय ने तारकासुर का वध करके देवताओं को स्वर्ग लोक वापस दिला दिया था, लेकिन तारकासुर के वध से उसके तीनों बेटों ने देवताओं से बदला लेने की ठानी। इसके बाद इन्होंने ब्रह्माजी की तपस्या करके उन्हें खुश कर लिया और उनसे तीन नगर मांगे और कहा कि जब ये तीनों नगर अभिजीत नक्षत्र में एक साथ आ जाएं तब असंभव रथ, असंभव बाण से बिना गुस्सा किए हुए कोई व्यक्ति ही उनका वध कर पाए। इस वरदान को पाकर त्रिपुरासुर खुद को अमर समझने लगे।

त्रिपुरासुर ने देवताओं को परेशान और अत्याचार करना शुरू कर दिया और उन्हें स्वर्ग लोक से बाहर निकाल दिया। सभी देवता त्रिपुरासुर से परेशान होकर बचने के लिए भगवान शिव की शरण में पहुंचे। देवताओं का कष्ट दूर करने के लिए भगवान शिव खुद त्रिपुरासुर का वध करने पहुंचे और उसका खात्मा कर दिया। सौभाग्यवश आदिदेव शिव जिस दिन इस राक्षस का वध किया उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा थी। देवताओं ने त्रिपुरासुर के वध पर खुशी जाहिर करते हुए शिव की नगरी काशी में दीप दान किया। कहते हैं तभी से काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव-दिवाली मनाने की परंपरा चली आ रही है। ये परंपरा आज तक काशी के लोग मानते चले आ रहे हैं।

आखिर क्यों इतनी खास है काशी की देव दीपावली? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

जानिए देव दीपावली का शुभ मुहूर्त

देव दीपावली मनाने का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर को शाम 5 बजकर 11 मिनट से 7 बजकर 48 मिनट तक है। वहीं पूर्णिमा तिथि 11 नवम्बर शाम 6 बजकर 2 मिनट से 12 नवंबर शाम 7 बजकर 4 मिनट तक है। तो आप इस शुभ मुहूर्त को जानकर इस मुहूर्त में देव दीपावली जरूर मनाएं।

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