Shattila Ekadashi 2021: माघ मास की पहली एकादशी ‘षटतिला एकादशी’, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्त्व
हिंदू धर्म में भगवान विष्णु जो त्रिदेव में एक और बेहद ही महत्वपूर्ण देवता के रूप में पूजे जाते हैं और माना जाता है कि जो भी भक्त उनकी पूजा करता है उसे सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि हमारे हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन सृष्टि के संरक्षक भगवान विष्णु को समर्पित है। हिंदी पंचांग के अनुसार माघ मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी कहा जाता है और इस बार षटतिला एकादशी 7 फरवरी, 2021 (Shattila Ekadashi 2021) यानी रविवार के दिन पड़ रही है।
Shattila Ekadashi 2021
मान्यता है कि षट्तिला एकादशी पर तिल का इस्तेमाल बेहद शुभ और मंगलकारी होता है। यदि पौराणिक मान्यताओं की मानें तो, जो भी जातक सच्चे व साफ़ मन से इस व्रत का पूरे विधि-विधान से पालन करता है उसे जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। आपको बता दें कि षट्तिला एकादशी का यह व्रत पूरी तरह से भगवान कृष्ण और लक्ष्मीपति विष्णु भगवान को समर्पित माना जाता है। पद्म पुराण के अनुसार इस पवित्र दिन पर तिलों से ही स्नान, तर्पण और विधि विधान से पूजा करने की मान्यता है। इस दिन तिल का प्रयोग सभी चीजों में किया जाता है। तिल के इस्तेमाल के कारण ही इस दिन षटतिला एकादशी कहा जाता है।
एकादशी पूजा विधि
आपकी जानकरी के लिए बता दें कि 7 फरवरी को एकादशी तिथि पर प्रातः काल में स्नान करने के बाद आप पूजा की शुरुवात करें। सम्पूर्ण विधि पूर्वक व्रत का संकल्प लेते हुए इस दिन नारायण भगवान की विशेष रूप से पूजा करें। माना जाता है कि भगवान विष्णु को पीला रंग बेहद प्रिय है इसलिए इस दिन पीले रंग की वस्तुओं का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें। बता दें कि इस दिन रात्रि में भी पूजा करनी चाहिए और पारण पर दान आदि का कार्य भी करना चाहिए इससे पुण्य मिलता है।
षटतिला एकादशी का शुभ मुहूर्त
षटतिला एकादशी तिथि का प्रारम्भ : 07 फरवरी, 2021 को सुबह 6 बजकर 26 मिनट से होगा
षटतिला एकादशी तिथि का समापन : 08 फरवरी, 2021 को सुबह 4 बजकर 47 मिनट को हो जायेगा
षटतिला एकादशी पर तिल का महत्व
पद्म पुराण के अनुसार, इस व्रत का नाम षटतिला एकादशी इसलिए पड़ा है क्योंकि इस रोज 6 अलग अलग प्रकार से तिल का इस्तेमाल करने और इसका दान करने की बात कही गई है। ऐसा करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें उनके जीवन के सभी समस्याओं से मुक्ति भी मिलती है। सिर्फ इतना ही नहीं जितना पुण्य कन्यादान और हजारों सालों की तपस्या और स्वर्ण दान से मिलता है, उतना ही फल षटतिला एकादशी के उपवास करने पर मिलता है। इस दिन तिल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए, तिल का उबटन लगाना, तिल से तिलक लगाना चाहिए, तिल मिले हुए जल का सेवन करना चाहिए, तिल से बने भोजन का सेवन करना चाहिए तथा तिल से हवन भी करना चाहिए।