नवग्रह का चाहते हैं साथ तो आज ही करें ये काम
आज का दिन वैशाख माह के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी पर रेवती नक्षत्र चतुष्पादकरण व वैधृति योग है| शास्त्रो के अनुसार कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि महादेव को समर्पित हैं| इस योग में महादेव के मातंग रुद्रावतार का पूजन श्रेष्ठ रहेगा| शिव जी का मातंग रुद्रवतार का शारीरिक वर्ण गहरे हरे-नीले रंग का हैं| ये अपने मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण करते हैं| शिव जी का ये स्वरूप भी तीन नेत्रों से युक्त हैं| इस बात को शास्त्रो में बताया गया हैं की मातंग रुद्रावतार को शवासन पर विराजमान बताया गया हैं| मातंग रुद्रावतार गुंजा के बीजों की माला धारण करते हैं| इनका प्रिय रंग लाल हैं| इसके साथ ही इनका शारीरिक गठन एक नवयुवक की भांति मनमोहक हैं| इस रूप में वे त्रिशूल, नर कंकाल, खड़ग व अभय मुद्रा धरण करते हैं|
करें ये उपाय मिलेगा नवग्रह का साथ
महादेव को उनके मातंग रुद्रावतार में इन्हें पशु-पक्षियो का प्रेमी दर्शाया गया हैं| इनका निवास स्थान श्मशान में हैं और तोते इनके साथ रहते हैं| मतंगेश्वर अवतार के शक्ति को महाविद्या देवी मातंगी माना गया हैं| इनके इस रूप को सनातन धर्म में उच्छिष्ट चंडाल के रूप में पुजा जाता हैं| ये अपने इस स्वरूप में श्मशान में शव दाह से संबन्धित कार्य करते हैं| शक्ति संगम तंत्र के अनुसार कालांतर में लक्ष्मी-नारायण कैलाश पर्वत पर शंकर-पार्वती से मिलने गए| लक्ष्मी-नारायण ने शंकर-पार्वती के लिए उपहार स्वरूप मिष्ठान ले गए| जब शंकर-पार्वती मिष्ठान खा रहे थे तभी कुछ मिष्ठान भूमि पर गिर गए, जिससे श्याम वर्ण वाली दास व दासी का जन्म हुआ जो मतंगेश्वर व मातंगी कहलाए| मतंगेश्वर का जन्म उच्छिष्ट भोजन से हुआ था| जिसकी वजह से इन्हे उच्छिष्ट चंडाल नाम से जाना जाता हैं|
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मतंगेश्वर महादेव के विशेष पूजन से भक्तो की समस्त अभिलाषाएं पूरी होती हैं| मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और क्रूर ग्रहो से छुटकारा मिलता हैं| इनकी विशेष पुजा प्रात: कल में शिवलिंग का पंचोचार पूजन करे| आप इनकी पुजा शुद्ध घी का दीप करें, सुगंधित धूप करें, लाल कनेर के फूल चड़ाए, रक्त चन्दन से त्रिपुन्ड बनाएँ, सेब का फलाहार चड़ाए और गुड का भोग लगाएँ तथा आप इस विशेष मंत्र को 108 बार जपें| इसके बाद आप इन फलो को गरीबो में बाँट दे| आप इन विशेष मंत्रो का जाप कर सकते हैं…. विशेष मंत्र: ह्रीं मतंगेश्वराय नमः॥
उपाय…
(1) मृत्यु भय से मुक्ति पाने के लिए शिवलिंग पर आप गुड की चाशनी चड़ाए|
(2) आप अपने समस्त अभिलाषाओ की पूर्ति के लिए शिवलिंग पर आम का रस चड़ाए|
(3) आप क्रूर ग्रहो के प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए शिवलिंग पर चड़े नवधान पक्षियों को डाले|