Religion

संतान सुख के लिए जरूर करे इस एकादशी का व्रत जाने इसका महत्व

वैसे तो हमारे हिन्दू धर्म में वृतो और त्य्हारो का बहुत महत्व है| धर्म में हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पद्म पुराण के अनुसार सांसारिक सुखों की प्राप्ति और पुत्र इच्छुक भक्तों के लिए पुत्रदा एकादशी व्रत को फलदायक माना जाता है। यह व्रत पौष और श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। संतानहीन या पुत्र हीन जातको के लिए इस व्रत को बेहद अहम माना जाता है। इस बार यह एकादशी 29 दिसंबर को पड़ रही है।

संतान सुख के लिए जरूर करे इस एकादशी का व्रत जाने इसका महत्व

पुत्रदा एकादशी का महत्व

पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है। पहली पौष माह में जबकि दूसरी सावन में। इस एकादशी में भगवान विष्णु के बाल रूप की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है क‌ि इस एकादशी के पुण्य से संतान सुख की प्राप्त‌ि होती है। इस एकादशी का पुण्यफल संतान के भाग्य और कर्म को उत्तम बनाने में सहायक माना गया है। जिस किसी भी दंपत्ति को संतान प्राप्ति करने में दिक्कत आती है उसको यह व्रत जरूर करना चाहिए।

हिन्दू समाज में बेटे को महत्वपूर्ण सोचा जाता है क्योंकि वो अपने जीवन में अपने माँ-बाप के बुढ़ापे में उनकी देखभाल करता है. प्रत्येक एकादशी का व्रत एक निश्चित लक्ष्य के लिए किया जाता है. बेटा होने का लक्ष्य इतना बड़ा होता है की दो पुत्रदा ( “बेटों के दाता”) एकादशियां बेटा करने के लिए समर्पित है।

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पुत्रदा एकादशी व्रत विधि

 पुत्रदा एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी के दिन लहसुन, प्याज आदि नहीं खाना चाहिए। साथ ही दशमी के दिन किसी प्रकार का भोग-विलास नहीं करना चाहिए। पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह स्नानादि से शुद्ध होकर उपवास करना चाहिए। भगवान विष्णु और विशेषकर विष्णु जी के बाल गोपाल रूप की पूजा करनी चाहिए। द्वादशी को भगवान विष्णु की अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करनी चाहिए। द्वादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद उनसे आशीर्वाद प्राप्त करके स्वयं भोजन करना चाहिए।

संतान सुख के लिए जरूर करे इस एकादशी का व्रत जाने इसका महत्व

आप खाने में चावल और अन्य अनाज का उपयोग न करे, बेऔलाद दंपति के मामले में पति और पत्नी दोनों को एक साथ भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और इस व्रत को रखना चाहिएव्रत के दौरान रात का समय भगवान विष्णु का जाप करके और भजन कीर्तन (जागरण) करके समय बिताना चाहिए, भगवान विष्णु की विशेष पूजा करनी चाहिए। विष्णु या कृष्ण मंदिरों में जाएं और प्रसाद आदि चढ़ाये।

द्वादशी के दिन भी व्रती को सात्विक भोजन करना चाह‌िए। इस प्रकार नियमपूर्वक जो लोग पुत्रदा एकादशी का व्रत करते हैं उनका व्रत ही सफल होता है।

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