अघोरी बाबाओं की रहस्यमय दुनिया, बेहद ही गुप्त स्थानों पर करते हैं अनुष्ठान
हम सबने कभी ना कभी अघोरी बाबा का नाम तो अवश्य सुना होगा, अघोरी बाबा को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता हैं वैसे तो हमारें हिन्दू धर्म में अलग-अलग मतों वाले साधु-संत होते हैं लेकिन अघोरी साधु इन सबसे बिल्कुल अलग होते हैं। ऐसे अघोरी बाबा सांस्कारिक और गृहस्थ जीवन का त्याग कर चुके होते हैं और अपनी अलग ही दुनिया बसाकर उसमें अपना समय बिताते हैं। आज हम आपकों अघोरी बाबा से जुड़ी जानकारी बताने जा रहें हैं।
ऐसे होता है अघोरी बाबाओं का जीवन
अघोरी या नागा बाबा अन्य साधुओं से अलग दिखाई देते हैं और खुद को भगवान शिव का परम भक्त मानते हैं अघोरी बाबा शमशान की राख को अपने शरीर पर लगा कर रखते हैं और अधिकतर समय अघोरी बाबा तंत्र साधना में व्यस्त रहते हैं। मां काली और भैरव बाबा को अघोरी साधु अपना गुरु मानकर उनकी साधना करते हैं, अघोरी साधु अपने गले में मुंडो यानी की कपाल की माला पहन कर रखते हैं।
अघोरी रहते हैं तंत्र साधना में लीन
हर मनुष्य को जीवन-मृत्य के चक्र से गुजरना पड़ता हैं लेकिन अघोरी साधु इसी काल चक्र से बचने के लिए घोर साधना में लीन रहते हैं, सामान्य तौर पर आप दिन में अघोरी को नहीं देख सकते क्योंकि ये दिन के समय बाहर नहीं निकलते हैं और ज्यादातर रात के समय ही आप इनको देख सकते हैं। हालांकि कुंभ और महाशिवरात्रि जैसे धार्मिक पर्वों पर ये दिखाई दे जाते हैं। अघोरी साधु को मृत्यु का बिल्कुल खौफ नहीं होता और ये मृत शरीर के साथ खाना खाने से लेकर सोते भी हैं।
गुप्त मंदिर जहां अघोरी करते हैं तंत्र साधना
कुछ ऐसे मंदिर हैं जो खासकर अघोरी साधुओ की तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध हैं आइये उनमें से कुछ मंदिर के बारें में जानते हैं
- काली मठ- ये वो स्थान हैं जहां देवी सती का पिंड गिरा था, इस मठ के बारें में कहा जाता हैं कि अघोरी साधु अपनी यात्रा पूरी करने के बाद यहीं पर अपना वास करते हैं।
- तारापीठ- ये स्थान पश्चिम बंगाल के रामपुरहाट में स्थित एक छोटा सा मंदिर हैं, इस मंदिर को मुख्य रूप से तांत्रिक मंदिर के रूप में जाना जाता हैं। इस स्थान के समीप ही शमशान घाट हैं जो अघोरियों का वास माना जाता हैं, मान्यताओं के अनुसार बहुत पहले यहां साधक बामपेखा साधना करते थे और यहां पर बहुत सी तांत्रिक कलाओं का अभ्यास भी किया करते थे।
- दक्षिणेश्वर मंदिर- कोलकाता में मौजूद दक्षिणेश्वर मंदिर कालीघाट के पास हैं जब देवी सती ने शरीर का त्याग किया था तो इस स्थान पर उनके बाएं पैर की चार उंगली गिरी थी इसी कारण यहां अघोरी तांत्रिक साधना और मोक्ष पाने के लिए साधना करते हैं।
- कपालेश्वर- मदुरै में स्थित कपालेश्वर मंदिर को अघोरियों का एक ऐसा मंदिर माना जाता हैं जहां अघोरियों के द्वारा अनुष्ठान किये जाते हैं।
- अघोर कुटी- नेपाल के काठमांडू में स्थित हैं अघोर कुटी, ये स्थान काफी प्राचीन हैं। पुराणों के अनुसार भगवान श्रीराम के भक्त बाबा सिंह शाक ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।