रहस्यमयी मंदिर : आखिर कैसे इस मंदिर में बलि के बाद जिंदा हो जाते हैं जानवर
बहुत से ऐसे मंदिर होते हैं जहां जानवर की बलि देने की प्रथा हैं लेकिन क्या आपने कभी एक ऐसे मंदिर के बारें में सुना हैं जहां जानवर की बलि देने के बाद जानवर फिर से जिंदा हो जाता हैं। आपको भी हैरत हो रही होगी लेकिन वास्तव में एक ऐसा मंदिर बिहार के कैमूर जिले में स्थित हैं। ये मंदिर माता मुंडेश्वरी देवी का हैं जहां आए दिन ऐसे चमत्कार होते रहते हैं।
बिहार का इतिहास तो वैसे भी प्राचीन काल से समृद्ध रहा हैं और देश की प्रगति में भी बिहार का अमूल्य योगदान रहा हैं, कैमूर जिले के भगवानपुर पहाड़ी में स्थित हैं माता का ये चमत्कारी मंदिर। यहां होने वाले चमत्कारों को देख कर मंदिर में आने वाले श्रद्धालु भी चकित रह जाते हैं। चलिए हम भी जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातों के बारें में
बलि के बाद फिर से जिंदा हो जाते हैं जानवर
इस मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार यहां दी जाने वाले बलि को लेकर हैं, यहां जानवरों की बलि रक्तविहीन होती हैं, जी हां यहां बलि के लिए जानवरों की बलि नहीं दी जाती बल्कि उनकी कृत्रिम बलि दी जाती हैं। जानवरों को जब यहां लाया जाता हैं तो जैसे ही उनको माता के चरणों में लेटाया जाता हैं तो वो तुरंत शांत हो जाते हैं। उसके बाद मंदिर के पुजारी मंत्रों के उच्चारण के साथ जानवर पर माता के चरणों के फूल और चावल डाले जाते हैं, ऐसा करते ही वो जानवर अपनी आंखें बंद कर लेता हैं तो उसे देखकर ऐसा लगता हैं उसमें प्राण ही नहीं हैं और कुछ देर बाद जब पुजारी उन पर दुबारा से फूल डालते हैं तो वो जानवर दुबारा से खड़ा हो जाता हैं
रहस्मयी हैं मुंडेश्वरी देवी का मंदिर
बलि के अलावा इस मंदिर में और भी बहुत से रहस्य हैं जैसेकि इस मंदिर के प्रांगण में और इसके आस-पास के इलाके में ऐसे बहुत से पत्थर मौजूद हैं जिन पर बहुत सी कलाकृति बनी हुई हैं जिसके बारें में अभी भी किसी को पता नहीं चल सका हैं। कलाकृतियों के अलावा उन पर कुछ ऐसी भाषा भी लिखी हैं जिनके बारें में आज तक कोई भी कुछ पता नहीं लगा पाया हैं। इसके अलावा इस मंदिर के गर्भगृह में स्थित चतुर्मुखी शिवलिंग का भी अपना ही रहस्य हैं, बताया जाता हैं कि शिवलिंग का रंग सुबह, दोपहर और शाम के समय बदलता रहता हैं।
मुंडेश्वरी देवी के मंदिर की कहानी
मान्यताओं के अनुसार ये मंदिर बहुत पुराना हैं, धर्म ग्रंथों के अनुसार जब चण्ड-मुण्ड नामक राक्षस धरती पर उत्पात मचा रहें थे तो देवी ने मां काली का रूप धारण किया था और उन्होंने सबसे पहले चण्ड का संहार किया था और चण्ड का वध होता देखकर मुण्ड कैमूर की पहाड़ियों में ही छिप गया था और मां काली ने यहां पर उसको मारकर धरती को चण्ड-मुण्ड के उत्पात से बचाया, तभी से माता मुंडेश्वरी की सच्ची श्रद्धा से पूजा करने पर भक्तों की हर इच्छा पूर्ण होती हैं।