Religion

Hartailka Teej 2020: माँ पार्वती ने शिव को पाने के लिए रखा था तीज का व्रत, जाने सम्पूर्ण पूजा विधि और महत्व

Youthtrend Religion Desk : हिंदू धर्म में सभी त्यौहारों और व्रत का अपना-अपना विशेष महत्व होता हैं, हर व्रत के पीछे एक कथा होती हैं जिसका उल्लेख हमारें पुराणों में अवश्य मिलता हैं हर माह में कोई पर्व या व्रत आता ही रहता हैं अभी कुछ ही दिनों में एक और पर्व और व्रत आने वाला हैं जिसकी काफी ज्यादा मान्यता हैं हम बात कर रहें हैं हरतालिका तीज ( Hartalika Teej ) की, ये पर्व हर वर्ष भाद्रपद माह में आता हैं इस बार ये पर्व 21 अगस्त को हैं। आज के अपने इस लेख में हम इस व्रत से जुड़ी मान्यता, व्रत करने की विधि, पूजा विधि और पूजा मुहूर्त के बारें में जानेंगे।

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क्या है हरतालिका तीज व्रत और इसकी मान्यता | Hartalika Teej

पुराणों में इस व्रत का उल्लेख मिलता हैं, कहा जाता हैं कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि होती हैं, हर वर्ष ये व्रत भाद्रपद माह की शुक्लपक्ष की तृतीया को मनाया जाता हैं, ये मान्यता हैं कि इस दिन हस्त नक्षत्र में महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाए तो इससे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती हैं। इस व्रत को कुंवारी कन्याएं और सुहागन स्त्रियां रखती हैं।

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हरतालिका तीज का मुहूर्त | Hartalika Teej

इस व्रत को निर्जला रखा जाता हैं इस व्रत की तुलना हिंदू धर्म के कुछ मुश्किल व्रतों में होती हैं, पौराणिक कथाओं के अनुसार हरतालिका व्रत सबसे पहले मां पार्वती ने महादेव को अपने पति के रूप में पाने के लिए किया था। इस व्रत में ना तो कुछ खाया जाता हैं और ना ही कुछ पिया जाता हैं, मान्यताओं के अनुसार इस व्रत के अगले दिन पानी पिया जाता हैं, व्रत की रात्रि में भजन और कीर्तन में समय व्यतीत करना चाहिए। हरतालिका तीज व्रत 21 अगस्त को प्रातःकाल का मुहूर्त सुबह 5:53:39 से शुरू होकर 8:29:44 तक हैं, इसके अलावा प्रदोष काल का मुहूर्त शाम 6:54:04 से लेकर रात 9:06:06 तक रहेगा।

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हरतालिका तीज के दिन पूजा करने की विधि

हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव शंकर और मां पार्वती की पूजा की जाती हैं, व्रत के नियमानुसार ये व्रत प्रदोषकाल में ही होता हैं, दरअसल सूर्य के अस्त होने के बाद बचे तीन मुहूर्तों को प्रदोषकाल कहा जाता हैं। हरतालिका तीज के दिन पूजा करने के लिए मिट्टी से ही भगवान शिव, मां पार्वती और गणेश की मूर्ति बनाकर उनका पूजन करना चाहिए, इसके अलावा पूजा करते समय पूजा करने के स्थान पर सुहाग वाली वस्तु रखनी चाहिए।

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