Haritalika Teej : पति की लंबी आयु के लिए इस दिन सुहागिने रखेंगी हरतालिका तीज का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Haritalika Teej : हिंदू धर्म में कई ऐसे व्रत-त्योहार (Fast-Festival) है, जिसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इन्ही में से एक है हरतालिका तीज ( Haritalika Teej) व्रत, जिसका काफी महत्व है। यह व्रत काफी कठिन माना जाता है। जो भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। यह व्रत कुंवारी कन्याओं द्वारा सुयोग्य वर पाने और विवाहित महिलाओं द्वारा सुखी दांपत्य जीवन और अपने सुहाग की दीर्घायु की कामना (Wish) के लिए करती है। इस साल हरतालिका तीज (Haritalika Teej) का व्रत 30 अगस्त (August) मंगलवार को रखा जाएगा। इस बार तीज पर काफी शुभ संयोग भी बन रहा है। तो आइए जानते है हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इसका धार्मिक महत्व और शुभ संयोग के बारे में विस्तार से….
Haritalika Teej : शुभ संयोग
इस बार हरतालिका तीज (Haritalika Teej) पर शुभ संयोग बन रहा है। यह शुभ संयोग सुबह से शुरू होकर रात 12 बजकर 4 मिनट तक बना रहेगा। इस साल हस्त नक्षत्र का साथ मिला है। इस नक्षत्र में पांच तारे हैं, जो आशीर्वाद की मुद्रा में दिखाई देते हैं।
हरतालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस साल भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली पावन तृतीया तिथि 29 अगस्त 2022, सोमवार (Monday) को दोपहर 03:20 बजे से प्रारंभ होकर 30 अगस्त 2022, मंगलवार को दोपहर 03:33 बजे तक रहेगा। हरतालिका तीज (Haritalika Teej) का का व्रत उदया तिथि में 30 अगस्त 2022 को रखा जाएगा और इस दिन पूजा का शुभ मुहूत प्रात:काल 05:58 से लेकर 08:31 बजे तक रहेगा।
हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि
भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा बरसाने वाले हरतालिका तीज व्रत (Haritalika Teej) की पूजा प्रदोष काल में अत्यधिक शुभ एवं फलदायी मानी गई है. ऐसे में इस दिन स्नान करने के बाद चौकी पर एक स्वच्छ लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता पार्वती और महादेव की मिट्टी की प्रतिमा को केले के पत्ते पर रखें। इसके बाद एक कलश के ऊपर नारियल रखकर सबसे पहले उसकी पूजा करें। इसके बाद माता भगवान शिव और माता गौरी कुमकुम, अक्षत, चावल, पुष्प, फल, मिष्ठान आदि चढ़ाकर विधिवत पूजन करें. पूजा के दौरान मां पार्वती को श्रृंगार की सभी चीजें चढ़ाएं और हरतालिका व्रत की कथा पढ़ें या फिर सुनें. पूजा के अंत में भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) की आरती करें।
हरतालिका तीज का क्या है महत्व?
इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए सोलह सिंगार करके भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती की आराधना करती हैं। इस दिन महिलाएं सुहाग की पिटारी रखती हैं, जिसमें कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, बिछिया, काजल, चूड़ी और कंगी समेत सोलह श्रृंगार रहता है।
धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता है कि हरतालिका तीज (Haritalika Teej) का व्रत माता पार्वती ने पहली बार रखा था। इसके बाद से हरितालिका तीज भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए 107 बार जन्म लिया था, लेकिन माता पार्वती जी को भगवान शिव की प्राप्ति नहीं हुई। इसके बाद 108 वीं बार माता पार्वती ने जन्म लिया। इस जन्म में माता पार्वती ने हरितालिका तीज का व्रत रखा और कठिन त्याग और तपस्या कर भगवान शिव को पा लिया था। यही कारण है कि इस पर्व में कुंवारी कन्या सुंदर वर पाने के लिए और विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। हरतालिका तीज का व्रत करवा चौथ से भी कठिन माना जाता है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं अन्न-जल को त्याग कर निर्जल व्रत रखती हैं।
हरतालिका व्रत से जुड़े नियम एवं उपाय
हरतालिका व्रत का नियम है कि इसे एक बार प्रारंभ करने के बाद छोड़ा नहीं जा सकता है और जब तक सामर्थ्य हो तब तक इसे हर साल विधि–विधान से करना होता है।
हरतालिका तीज के व्रत में सुहाग की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना को पूरा करने के लिए 11 नई शादीशुदा महिलाओं को 16 श्रृंगार से जुड़ी सभी सामग्री भेंट करें।
सुखी वैवाहिक जीवन की कामना को पूरा करने के लिए हरतालिका तीज पर माता पार्वती को खीर का भोग अवश्य लगाएं।