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गणेश चतुर्थी 2019: जानें गणपति को इतना क्यों भाता है मोदक, क्या है इसका रहस्य

गणेश चतुर्थी 2019: जानें गणपति को इतना क्यों भाता है मोदक, क्या है इसका रहस्य

इस साल गणेश चतुर्थी का महापर्व 2 सितंबर 2019, सोमवार को मनाया जाएगा और इसके साथ ही भगवान श्री गणेश के भक्तगण दुनिया के हर कोने में 10 दिनों तक गणेश उत्सव मनाएंगे| भगवान गणेश की पूजा बड़े ही विधि-विधान पूर्वक किया जाता हैं, पूजा करते समय लोग तरह-तरह के भोग भगवान श्री गणेश को लगाते हैं और भगवान गणेश का सबसे प्रिय भोग मोदक होता हैं| लेकिन क्या आप जानते हैं कि लोग भगवान गणेश को मोदक का भोग क्यों लगाते हैं या भगवान गणेश को मोदक इतना क्यों पसंद हैं, आइए इस अद्भुत रहस्य के बारे में जानते हैं|

गणेश चतुर्थी 2019: जानें गणपति को इतना क्यों भाता है मोदक, क्या है इसका रहस्य

मोदक की कथा

एक कथा के मुताबिक एक बार सभी देवताओं ने माता पार्वती को अमृत से तैयार किया हुआ दिव्य मोदक दिया, मोदक को देखकर माता पार्वती के दोनों पुत्र कार्तिकेय और भगवान गणेश भी उस मोदक को मांगने लगे| ऐसे में माता पार्वती ने कहा कि यह मोदक अमृत से निर्मित हैं इसलिए यह आप दोनों को आसानी से नहीं मिलेगा इसलिए यदि आप दोनों इस दिव्य मोदक को प्राप्त करना चाहते हैं तो आप दोनों को एक परीक्षा से गुजरना पड़ेगा और जो इस परीक्षा में पास होगा वहीं इस मोदक को प्राप्त करेगा|

माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्रों से कहा कि आप दोनों में से जो भी धर्माचरण के द्वारा श्रेष्ठता प्राप्त करके सबसे पहले ब्रह्मांड के सभी तीर्थ दर्शन करके आयेगा वहीं इस मोदक को प्राप्त कर सकेगा| जैस ही कार्तिकेय ने माता पार्वती की यह बात सुना वैसे ही वो आने वाहन मयूर पर सवार होकर ब्रह्मांड के सभी तीर्थ दर्शन के लिए निकल पड़े| लेकिन भगवान श्री गणेश का वाहन मूषक बहुत ही छोटा एवं उड़ने में असमर्थ होने के कारण वो पूरे ब्रह्मांड के तीर्थ स्थल दर्शन के बजाय अपने माता-पिता यानि भगवान शिव और माता पार्वती के परिक्रमा और पूजा करके उनके सामने सबसे पहले खड़े हो गए|

गणेश चतुर्थी 2019: जानें गणपति को इतना क्यों भाता है मोदक, क्या है इसका रहस्य

जब माता पार्वती ने श्री गणेश को ऐसा करते देखा तो उन्होने कहा कि समस्त तीर्थों में किया स्नान, सम्पूर्ण देवताओं को किया हुआ नमस्कार, सब यज्ञों का अनुष्ठान, सभी प्रकार के व्रत, मंत्र, योग और संयम का पालन, ये सभी साधन माता-पिता के पूजन के सोलहवें अंश के बराबर भी नहीं हो सकते हैं| इसलिए गणेश सैकड़ों पुत्रों और सैकड़ों गणों से भी बढ़कर हैं| इसलिए गणेश की दिव्य मोदक का सही हकदार हैं और इसे मोदक मैं अपने हाथों से स्वयं दूँगी| इसके बाद से ही गणेश को प्रथम पूज्य होने का आशीर्वाद प्राप्त हुआ और उन्हें मोदक का भोग लगाया जाने लगा|

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