जा रहे है मंदिर तो भूल से भी साथ ना रखे ये चीजें, वरना आ सकते है आपके उल्टे दिन
मंदिर का अर्थ होता है- ‘मन से दूर कोई स्थान’। प्राचीनकाल से ही किसी भी धर्म के लोग सामूहिक रूप से एक ऐसे स्थान पर प्रार्थना करते रहे हैं, जहां पूर्ण रूप से ध्यान लगा सकें, मन एकाग्र हो पाए या ईश्वर के प्रति समर्पण भाव व्यक्त किया जाए अक्सर भक्तो के द्वारा मंदिर में पूजा अर्चना करने के पूजा की सामग्री साथ लेकर जाया जाता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसी भी वस्तुए है जिन्हें मंदिर में ले जाना वर्जित है क्योंकि ये चीजे आपके लिए नुक्सान देह है और इनका पूजा में साथ होना आपके पूजा पाठ का उल्टा फल देने का कारण भी बन सकती है।
आज हम आपको ऐसी ही चीज के बारे में बतायेंगे जिसे मंदिरों,देवालयों में ले जाना वर्जित है
शास्त्रों के अनुसार चमड़े से बनी चीजे जैसे जूते,चप्पल,बेल्ट,पर्स इत्यादि धार्मिक स्थलों पर ले जाना वर्जित है। ऐसी मान्यता है की चमड़ा जो की बेजुबान जानवरों की खाल उतार कर बनाया जाता है और ये एक बहुत बड़ा पाप है और साथ में अपवित्र भी माना गया है। इसी वजह से चमड़े से बनी कोई भी वस्तु का पूजा में उपयोग करना अब अपवित्र माना जाता है और इसीलिए इन वस्तुओ की उपस्थिति में पूजा का किसी भी तरह का फल प्राप्त नहीं किया जा सकता है, इसीलिए हिन्दू धर्म में चमड़े की वस्तुओ को गैर धार्मिक माना गया है।
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ये तो बात हो गयी धार्मिक मान्यताओ की लेकिन अगर हम चमड़े को वैज्ञानिक दृष्टि से देखे तो भी चमड़े की वस्तुए हमारे सेहत के लिए सही नहीं है क्योकि चमड़ा जो की जानवरों की खाल उतारकर तैयार किया जाता है इसीलिए इसमें बहुत बदबू होती है और इस बदबू को दूर करने के लिए इसमें कई तरह के केमिकल्स का उपयोग किया जाता है इसके गंध को दूर करने के लिए जो हमारे सेहत के लिए काफी नुक्सान दायक साबित हो सकता है।