सोमवती अमावस्या पर कुंडली दोष निवारण का बन रहा है महासंयोग, चूके तो 11 साल करना होगा इंतजार
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या दोनों का ही विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इन दोनों दिन किए गए विशेष शास्त्रीय उपायों का फल जल्द मिलता है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। ये वर्ष में लगभग एक अथवा दो ही बार पड़ती है। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है, इस अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व होता है।
इस वर्ष सोमवती अमावस्या 18 दिसंबर को पड़ रही है और इस वर्ष इस दिन एक महासंयोग भी बन रहा है।
जो महासंयोग इस बार बन रहा है, वो आपकी कुंडली के कई दोषों को खत्म कर सकती है, लेकिन इस बार आप चूके तो फिर आपको 11 वर्ष का इंतजार करना पड़ेगा। यानी 2017 के बाद ये महासंयोग 2028 में बनेगा। इस महासंयोग के अलावा इस बार की सोमवती अमावस्या अपने आप में खास है, क्योंकि तीन साल बाद ये अमावस्या पौष मास में पड़ रही है साथ ही त्रिग्रह योग भी बन रहा है।
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पूजा का विधान
पौष माह के आने वाली सोमवती अमावस्या को इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा। ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है और जिन लोगों की कुंडली में विष योग, काल सर्प दोष, अमावस्या दोष है, वो लोग इस दिन अपने दोष का निवारण कर सकते हैं।
पूजन विधि
- सुबह मौन रहकर किसी भी पवित्र नदी में स्नान करें और तिल प्रवाहित करना चाहिए इससे पित्र्दोष से मुक्ति मिलती है।
- सूर्य व तुलसी को जल अर्पण करके, गायत्री मन्त्र का उच्चारण करें।
- गाय को दही, चावल खिलाएं।
- हो सके तो पूरा दिन मौन व्रत धारण रखें।
- पीपल के पेड़ के चारो तरफ 108 बार धागा लपेटते हुए परिक्रमा और वहीँ पास में तुलसी भी रखें।
- कपड़े ,अन्न एवं मिठाई का दान करें।
उपाय
सोमवती अमावस्या के दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन जरुर चढ़ाना है और सरसों के तेल का दीपक जलाना है और वृक्ष के चारों ओर १०८ बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है और ॐ नमः शिवाय का जाप करना जरूरी है और गरीबो को भोजन कराएँ जिससे आपके जीवन के सभी पितृ दोष दूर हो जायेगे।