Religion

चरणामृत और पंचामृत में क्या अंतर हैं, जानिये विस्तार से

Youthtrend Religion Desk : जब भी हम मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं तो हमें वहां से प्रसाद में चरणामृत मिलता हैं, इसके अलावा जब हम किसी भी पूजा में शामिल होते हैं या घर में कोई पूजन होता हैं तो पूजन की समाप्ति पर हमें प्रसाद के रूप में चरणामृत और पंचामृत दिया जाता हैं पर बहुत ही कम लोग ये जानते होंगे कि चरणामृत और पंचामृत में अंतर होता हैं अगर आप भी नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं, आज के इस लेख में हम आपकों चरणामृत और पंचामृत के बारें में बताने जा रहें हैं।

चरणामृत और पंचामृत क्या है

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चरणामृत क्या होता हैं

जैसाकि नाम से ही स्पष्ट हैं चरणामृत का अर्थ होता हैं भगवान के चरणों का अमृत, विष्णुपुराण में भी चरणामृत को भगवान श्रीविष्णु के चरणों का आशीर्वाद बताया गया हैं, इसको अमृत की संज्ञा इसलिए दी गई हैं क्योंकि इसमें अमृत के समान ही सात गुण होते हैं। मान्यता हैं कि चरणामृत अर्थात भगवान श्रीहरि के चरणों के इस अमृत रूपी जल का सेवन करने से मनुष्य के सभी तरह के पापों का नाश हो जाता हैं। विष्णुपुराण में ये भी बताया गया हैं कि जो व्यक्ति इस चरणामृत का सेवन कर लेता हैं वो जन्म-मरण के फेरों से मुक्त हो जाता हैं।

पंचामृत क्या होता हैं

पांच पवित्र वस्तुओं से बने प्रसाद जिसे पांच अमृत या पंचामृत भी कहा जाता हैं, पंचामृत के लिए गाय का दूध, गोदधि, गोघृत, शहद और शक्कर का इस्तेमाल किया जाता हैं, इसी पंचामृत के द्वारा ही भगवान काअभिषेक किया जाता हैं पंचामृत का सेवन करने से व्यक्ति को बहुत सी गंभीर बीमारियों में राहत और लाभ देने वाला होता हैं।

कैसे  बनता हैं चरणामृत और क्या हैं इसको पीने के नियम

हमेशा चरणामृत तांबे के बर्तन में ही होता हैं, कहा जाता हैं तांबे के लोटे या बर्तन में जल रखने से धातु के औषधीय गुण जल में सम्मिलित हो जाते हैं, इसके अलावा चरणामृत में तुलसी के पत्ते भी होते हैं, चरणामृत ग्रहण करने के बाद अपने हाथों को कभी भी सिर पर नहीं फेरना चाहिए ऐसा करने से नकारात्मक प्रभाव बढ़ता हैं, हमेशा ये ध्यान रखें कि चरणामृत को अपने दाएं हाथ से ही लें।

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क्या हैं चरणामृत और पंचामृत के लाभ

शास्त्रों के अनुसार चमरणामृत और पंचामृत दोनों के ही सेवन से शरीर में सकारात्मक विचारों की उत्पत्ति होती हैं, चरणामृत का सेवन आयुर्वेद में भी बहुत स्वास्थ्यदायक माना गया हैं कहा जाता हैं कि चरणामृत तांबे के बर्तन में होता हैं जिस कारण शरीर को तांबे के बहुत से औषधीय गुण भी मिलते हैं इसके अलावा चरणामृत में तुलसी भी होती हैं जो शरीर के बहुत से रोगों में लाभदायक होती हैं। उसी प्रकार पंचामृत के सेवन से हमारा शरीर रोगों से मुक्त रहता हैं पंचामृत से स्नान करने से हमारें शरीर की कांति भी बढ़ती हैं और एक बात का ध्यान रखें कि पंचामृत का सेवन निश्चित मात्रा में ही किया जाना चाहिए।

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