श्राद्ध पक्ष 2020: पिंड दान और श्राद्ध में क्या अंतर हैं?
Youthtrend Religion Desk : शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य ग्रह कन्या राशि में प्रवेश करता हैं तब पितृ पक्ष की शुरुआत होती हैं इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 2 सिंतबर से शुरु हो रहें हैं और 17 सिंतबर तक चलेंगे, शास्त्रों में बताया गया हैं अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने से घर-परिवार में शांति रहती हैं और घर के सभी सदस्यों को पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता हैं। पितृ पक्ष पूर्णिमा से लेकर सर्वपितृ अमावस्या तक चलते हैं पितृ पक्ष श्राद्ध के दौरान पितरों का पिंडदान और श्राद्ध किया जाता हैं, बहुत से लोग पिंडदान और श्राद्ध को एक ही समझते हैं लेकिन यहां पर हम आपकों बताना चाहेंगे कि दोनों में अंतर होता हैं और हर किसी को ये अंतर समझने की जरूरत हैं, आज के इस लेख में हम आपकों यही अंतर बताने जा रहें हैं।
पिंड दान क्या होता हैं
गरुड़पुराण और ऋग्वेद में भी पिंडदान को लेकर उल्लेख मिलता हैं उनके अनुसार जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं तो उस मृत व्यक्ति की आत्मा एक बहुत ही सूक्ष्म शरीर में प्रवेश कर जाती हैं तो उस सूक्ष्म शरीर में बहुत सी इंसानी भावनाएं प्रवेश कर जाती हैं जैसैकि सुख, दुख, भूख, प्यास, मोह और माया इत्यादि।
जब तक उस आत्मा को उन सभी मानवीय भावनाओं से मुक्ति नहीं मिल जाती तब तक वो आत्मा तृप्त नहीं रहती और ऐसी आत्मा को प्रेतात्मा या प्रेत योनि भी कहा जाता हैं, जब तक उन आत्मा को विशेष मुर्हुत में विशेष ब्राह्मणों द्वारा उनकी आत्मा को तृप्त किया जाता हैं तो इस विधि को ही पिंड दान कहा जाता हैं।
श्राद क्या होता हैं
जब भी हमारे किसी पूर्वज या परिवार के सदस्य की मृत्यु होती हैं तो हिंदू कैलेंडर के अनुसार जिस तिथि पर उनकी मृत्यु होती हैं तो पितृ पक्ष श्राद में उसी तिथि के दिन उनका श्राद्ध किया जाता हैं श्राद के दिन परिवार के सदस्य स्वर्गलोक जा चुके व्यक्ति की शांति के लिए हवन, पूजा की जाती हैं और गरीबों को दान दक्षिणा दी जाती हैं। हवन इसलिए किया जाता हैं ताकि हमारें पूर्वज और बुजुर्ग जिस भी लोक में हैं वहां वो तृप्त रहें और उनका आशीर्वाद परिवार के बाकी सदस्यों पर बना रहें।
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पिंडदान और श्राद्ध में क्या हैं फर्क
पिंडदान उन अतृप्त आत्माओं के लिए किया जाता हैं जिन्हें अभी तक इस दुनिया के मायाजाल से मुक्ति नहीं मिली हैं या उनकी आत्मा को अभी तक तृप्ति नहीं हुई हैं तो ऐसे में उन आत्माओं का पिंडदान करकें उन्हें बाकी पूर्वजों के पास भेज दिया जाता हैं जबकि श्राद्ध उन तृप्त आत्माओं का किया जाता हैं जो इस दुनिया से जा चुके हैं और उनकी आत्मा को मुक्ति मिल चुकी हैं तो हर वर्ष पितृ पक्ष में उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता हैं। हिंदू शास्त्रों में पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण करना और श्राद्ध करना काफी महत्वपूर्ण बताया गया हैं।