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Sushant, Kangana से Antilia तक वो तमाम मौके जब उद्धव सरकार पर लगातार उठे सवाल

महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी-उद्धव सरकार के सवा साल पूरे हो चुके हैं पर इन सवा साल में विवाद और महाराष्ट्र सरकार का चोली-दामन का साथ  रहा है। चाहे वो सुशांत सिंह राजपूत का मामला हो, या फिर कंगना रनौत का या फिर पालघर में साधुओं की हत्या। उद्धव सरकार अभी इन सभी से उबर भी नहीं पायी थी कि मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक से भरी कार मिलने के बाद से सरकार गहरे सदमे में है। सवा साल में विपक्ष ने कितने प्रहार किया है इस सरकार पर और कितने मौके सरकार ने विपक्ष को दिए हैं जानिये इस खास रिपोर्ट में।

विपक्ष ने निशाने पर रही उद्धव सरकार

उद्धव सरकार पर सवाल

एंटीलिया मामला

ताज़ा मामला मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर जिलेटिन छड़ से भरी कार की NIA द्वारा शुरू हुई जांच के बाद मुंबई पुलिस के ऑफिसर सचिन वझे का नाम सामने आया है। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है पर इस घटनाक्रम ने विपक्षियों को मौक़ा दे दिया है और भाजपा ने बड़ा बयान दिया है। सचिन वझे के बचाव में सीएम से लेकर पूरी महाराष्ट्र सरकार लगी हुई थी जिसपर अब उनकी छीछालेदर हो रही है। NIA के सामने सचिन वझे ने खुद को इस घटनाक्रम में जुड़े होने की बात क़ुबूल कर ली है जिसके बाद उद्धव सरकार को गहरा झटका लगा है और इसकी खीझ मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को हटाकर उतारी गयी है।

पालघर साधु लीचिंग मामला

इसके पहले विवादों की शुरुआत अप्रैल 2020 से शुरू हुई जब पालघर में साधुओं साथ लिंचिंग की गयी। लोग लॉकडाउन में घरों में थे पर पालघर से 100 किलोमीटर दूर साधुओं के साथ भीड़ ने दिल दहला देने वाला बर्ताव किया। सूरत जा रहे दो साधुओं को और उनके ड्राइवर को भीड़ ने जान से मार दिया।  ये दोनों साधू सूरत अपने गुरु के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे और पुलिस के कहने पर ग्रामीण इलाके से जा रहे थे पर भीड़ ने इन्हे मौर के घाट उतार दिया।  इस मुद्दे पर भी उद्धव सरकार की काफी किरकिरी हुई, सरकार ने सफाई दी थी कि अफवाह के कारण साधुओं की जान चली गयी।

सुशांत सिंह केस

sushant singh new

इसके बाद महाराष्ट्र सरकार की काफी किरकरी सुशांत सिंह राजपूत के केस में हुई।  इस मामले की जांच को जब बिहार से स्पेशल स्क्वाएड मुंबई पहुंचा तो अपनी कारगुज़ारियां छुपाने के लिए मुंबई अथॉरिटी ने उन्हें क्वारंटाइन कर दिया क्योंकि उस समय कोरोना अपने चरम पर था। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार ने सीबीआई जांच पर चुप्पी साध रखी थी पर बिहार सरकार ने सीबीआई जांच को हरी झंडी दे दी थी।  इस मामले में भी विपक्ष ने शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी को निशाने पर लिया था।

कंगना पर एक्शन को लेकर घिरी सरकार

सुशांत सिंह राजपूत की ह्त्या पर सवाल उठाने वाली और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगातार पोस्ट करने से और शिवसेना के नेताओं के ट्विट्टर पर बेबाक जवाब देने के बाद सुर्ख़ियों में आयी अभिनेत्री कंगना रनौत के मुंबई आने को लेकर भी बयान दिए गए, जिसपर कंगना रनौत मुंबई तो पहुंची पर उसके पहले बीएमसी ने उनके पाली हिल्स के ऑफिस को जेसीबी से अवैध निर्माण का  आरोप लगाते हुए एक हिस्सा गिरा दिया, जिसपर कोर्ट को दखल देना पड़ा वहीं शिवसेना से उनका सहयोगी दल एनसीपी भी नाराज़ दिखा और शरद पवार ने इस कार्रवाई को गैर ज़रूरी बताया था। 

कोरोना की बढ़ती रफ़्तार

कोरोना की रफ़्तार पर एक बार फिर महाराष्ट्र सरकार बैकफुट पर है। यहां पिछले साल से लेकर आज तक कोरोना के सबसे ज़्यादा मामले सामने आये हैं। भाजपा ने कोरोना के बिगड़ते हालात को देखते हुए प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की भी मांग उठाई थी। एक साल बीत चुके हैं और मार्च आते सतह एक बार फिर महाराष्ट्र में  कोरोना के मामले में बढ़ोत्तरी शुरू हो गयी है, जिसके चलते राज्य के कई शहरों में एक बार फिर से रात में कर्फ्यू लगाने का आदेश सरकार ने जारी किया है।  कोरोना को नियंत्रण नहीं कर पाने के चलते बीजेपी लगातार उद्धव ठाकरे को पर सवाल खड़े कर रही है।