Paryushan Parva : 2.5 साल की नन्ही वान्या ने संवत्सरी पर 36 घंटे का निराहार व्रत कर बनाया रिकॉर्ड
Paryushan Parva : 10 दिनों तक चलने वाला दिगंबर जैन समाज (Jain Samaj) का पर्युषण पर्व (Paryushan Parva) बुधवार को संवत्सरी (Samvatsari) के साथ खत्म हुआ। यह जैन समाज का महत्वपूर्ण पर्व है। इन दिनों यथा शक्ति उपवास रखा जाता है। इसे ‘दसलक्षण पर्व’ के नाम से भी संबोधित किया जाता है। संवत्सरी को श्वेतांबर समाज के अनुयायियों ने 36 घंटे तक निराहार उपवास (Fast) किया। यह उपवास पुरुष महिलाओं सहित छोटे-छोटे बच्चे भी करते हैं। वहीं यह उपावस करने में ढाई साल की बच्ची भी शामिल है, जिसने 36 घंटे बिना कुछ खाए व्रत (Fast) रखा और इसी के साथ एक नया रिकॅार्ड (Record) कायम किया। अब आप सोच रहे होने कि इतनी सी छोटी और इतने देर उपवास वो भी निराहार, यहां तो बड़े-बड़ों के एक दिन व्रत रहने में हालत खराब हो जाती है, लेकिन यहीं सच है। आइए जानते कौन है ये न्नही गुड़िया जिसने Paryushan Parva के दौरान इतना देर उपवास किया…
ये है Samvatsari पर उपवास करने वाली न्नही गुड़िया
यह बच्ची नेपाल (Nepal) बिहार क्षेत्र से फारबिसगंज (Forbesganj) के सौरभ दिव्या दुगड़ (Saurabh Divya Dugad) की मात्र ढाई साल की वान्या दुगड़ (Vanya Dugad) है। जिसने संवत्सरी (Samvatsari) पर 36 घंटे निराहार रहकर उपवास किया और एक कीर्तिमान (Record) स्थापित किया।
सात दिनों तक आध्यात्म का कठिन प्रयोग
संवत्सरी (Samvatsari) पर 36 घंटे से ज्यादा समय तक निराहार रहकर उपवास (Fast) किया जाता है। इस दौरान आचार्य श्री महाश्रमणजी की शिष्या साध्वी संगीत श्री ((Sangeet shri) ने तेरापंथ भवन (Terapanth Bhawan) में साढ़े नौ घंटे तक प्रवचन दिया। इस मौके पर कारोबारियों ने अपने प्रतिष्ठान (Shop) बंद रखकर तेरापंथ भवन में साध्वी संगीत श्री के साढ़े नौ घंटे तक चले प्रवचन का लाभ लिया। इस दौरान साध्वी संगीत श्री ने जैन आगमों के अनेक सूत्रों के माध्यम से संवत्सरी (Samvatsari) के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि पर्युषण पर्व (Paryushan Parva) महापर्व है।
8वें दिन 36 घंटे निराहार उपवास कर मनाया ‘महापर्व’
इस दौरान श्रावक समाज की ओर से अनेक कठिन प्रयोगों के माध्यम से क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष आदि आंतरिक शत्रुओं के नाश करने की क्षमता भी हासिल की है। महासभा के संरक्षक डॉ राजकरण दफ्तरी ने बताया कि जैन धर्म के त्याग प्रधान संस्कृति में संवत्सरी पर्व का अपना अपूर्व और विशिष्ट आध्यात्मिक महत्व है। जैन धर्म के अनुसार संवत्सरी (Samvatsari) अंतरात्मा की आराधना और आत्मशोधन का पर्व है।
क्षमापना दिवस (मैत्री दिवस) मनाकर पर्युषण पर्व हुआ संपन्न
श्वेतांबर समाज गुरुवार सुबह तेरापंथ भवन (Terapanth Bhawan) में एकत्रित हुआ। इस दौरान सभी ने जाने-अनजाने में हुई भूल के लिए ‘खम्मत खामणा’ कर एक दूसरे से क्षमा याचना की। वहीं साध्वी संगीत श्री ने उपस्थित समुदाय को कहा- क्षमा वीरस्य भूषणम् ही जैन धर्म का गहना है। क्षमा वीरों का भूषण है। उन्होंने कहा कि आज के दिन किसी को राग द्वेष की गांठ नहीं रखनी है।
साध्वी संगीत श्री ने कहा कि आज गांठ खोलने का दिन है। एक-दूसरे को मन से क्षमा करना और क्षमा याचना करने का दिन है। क्षमा वही कर सकता है जिसकी भावना पवित्र होती है। राग द्वेष आज मिटाना जरूरी है, नहीं तो व्यक्ति अपने मार्ग से भटक जाएगा और अपनी गति को बिगाड़ लेगा। इसी क्रम में साध्वी शांति प्रभा, कमल विभा, मुदिताश्री ने इस महान पर्व पर सभी से क्षमा याचना करते हुए इसका महत्व बताया।