ये हैं कुछ ऐसे आविष्कार जिन्हें खोजा भारतीयों ने लेकिन विदेशियों ने कमाया नाम
भारत में प्राचीन काल से ही ज्ञान को अत्यधिक महत्व दिया गया है। कला, विज्ञान गड़ीत और ऐसे अनगिनत छेत्र है जिनमे भारतीय योगदान अनुपम है। आधुनिक युग के ऐसे कई सारे अविष्कार है दुनिया में जो की भारत की देन है। तो आइये आज हम आपको भारत की कुछ ऐसी खोज के विषय में बताते है जो पुरे विश्व में प्रसिद्द है।
शुन्य का अविष्कार
दुनिया भर में अनेको अनेक अंक प्रणालिया विकसित है लेकिन इन सब की शुरुवात जिस अंक से होती है वो अंक है शुन्य मतलब जीरो अगर शुन्य का खोज नहीं होता तो आज शायद हमारे पास गणित भी नहीं होता इसलिए आधुनिक विकास के लिए शुन्य का बहुत महत्व है। अंको के मामले में विश्व भारत का ऋणी है| इसके अलावा मूल्य प्रणाली और दशमलव प्रणाली का विकास भी भारत में ही हुआ है।
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हवाई विमान
जैसा की हम सभी को पता है विमान का आविष्कार तो राईट ब्रदर्स ने किया था। क्योंकि अपने किताबो में पढ़ा है तो ये बात बिलकुल सच है क्योंकि आधुनिक विमानों का जनक राईट ब्रोदर्स को ही माना जाता है। लेकिन महर्षि भरद्वाज द्वारा चौथ्वी शताब्दी से इसा पूर्व लिखित एक ग्रन्थ “विमान शाश्त्र” जो कि संस्कृत पद्य में रचित एक ग्रन्थ है। जिसमें विमानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है साथ ही साथ हवाई युद्ध के कुछ नियम भी बताये गए थे गोधा, परोक्ष,पुष्पक (रवांण का विमान) इन सभी विमानों का उल्लेख तो हमारे ग्रंथो में मिलता ही है। तो इससे ये साबित हो जाता है की महर्षि भरद्वाज जी ने ही विमान की रचना की थी और वो भी भारत में ही इसलिए विमान का आविष्कारक भारत ही है।
सर्जरी
इस बात से तो आप बखूबी वाकिफ होंगे की आजकल प्लास्टिक सर्जरी बहुत उपयोग की जाती है। खासकर फिल्म जगत में तो इसका बहुत ज्यादा उपयोग होता कुछ अभिनेता अभिनेत्रीयाँ अपनी खूबसूरती बढ़ाने के लिए इसका उपयोग करते है तो कुछ ट्रीटमेंट के लिए करवाते है |पश्चिम देश के लोग तो इसको उनके द्वारा की गई एक बहुत बड़ी खोज मानते हैं। और हम भी मानते हैं कि भले ही आधुनिक सर्जरी का अविष्कार भले उन्होंने ने किया हो लेकिन भारत में 3000 साल पहले surgery का अविष्कार हो चूका था। महर्षि सुश्रुत ने 1000 इसा पूर्व अपने समय के स्वास्थ्य चिकित्सको के साथ मिलकर कृत्रिम अंग लगाने, पथरी का इलाज करना,और प्लास्टिक surgery जैसी रोगों को ठीक करने की युक्ति खोज ली थी।
अस्त्र शस्त्र
अस्त्र शस्त्र से मेरा मतलब सिर्फ धनुष या तीर तलवार से ही नहीं है बल्कि मेरा मतलब रामायण महाभारत के दौरान उपयोग किये गए आग्नेय अस्त्रों जैसे वरुणास्त्र, पाशुपतास्त्र, सर्पास्त्र, ब्रह्मास्त्र आदि अनेक ऐसे अस्त्रों से है । और आज के सामने में आप देख ही सकते हैं कि इन्ही चीजो को बन्दूक, मशीनगन, तोप, मिसाइल, विषैली गैस तथा परमाणु बम भी कहा जाता हैं। हम यह कह सकते हैं कि आज के मुकाबले उस वक़्त के यह हथियार ज्यादा एडवांस थे।
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विधुत
आधुनिक बिजली का अविष्कार माइकल फैराडे ने किया था । बल्ब का अविष्कार थॉमस एडिसन ने किया था और इस बात को भी आप जानते ही होंगे की बल्ब को बनाते टाइम थॉमस एडिसन 1000 बार असफल हुए थे। लेकिन यह अविष्कार महर्षि अगस्त्य पहले ही कर चुके थे । क्योंकि थॉमस एडिसन अपनी किताब में खुद लिखते हैं कि “एक रात जब मैं महर्षि अगस्त्य द्वारा लिखे गए संस्कृत का एक वाक्य पढ़ते-पढ़ते सो गया। उस रात मुझे स्वप्न में संस्कृत के उस वचन का अर्थ और रहस्य समझ में आया”। जिसका अर्थ था कि “एक मिट्टी का पात्र लें, उसमें कोपर शीट डालें तथा कोपर सलफेट डालें, फिर बीच में गीली लकड़ी की डस्ट लगाएं, ऊपर मरकरी तथा जिंक डालें, फिर तारों को मिलाएंगे तो उससे मित्रावरुणशक्ति यानी (Electricity) का उदय होगा।”
पहिया
आज से करीब 5000 साल पहले महाभारत और रामायण में भी पहियों का वर्णन मिलता है। और ग्रंथो से तो ये बात स्पष्ट होती है कि उस वक़्त के जो युद्ध लडे गए थे वो रथ पर ही लडे गए थे।और भगवान् श्री कृष्ण अर्जुन के रथ के सारथी भी बने थे तो इस बात में तो हमें कोई संदेह नहीं होना चहिये कि पहिये का आविष्कार इरान में नहीं बल्कि भारत में हुआ था।
जिओमेट्री
भले ही ग्रीस के महान गणितज्ञ पाइथागोरस ने पाइथागोरस प्रमेय का सिधांत 500 इसा पूर्व दिया हो लेकिन भारत के प्राचीन गणितज्ञ और शुल्व सूत्र तथा श्रौतसूत्र के निर्माता बौधायन ने रेखागणित, ज्यामिति के महत्वपूर्ण नियमों की खोज करीब 800 ईसा पूर्व कर ली थी इस बात से लोग इस लिए अनजान है क्योंकि उस समय रेखागणित, ज्यामिति और त्रिकोणमिति को भारत में शुल्व शास्त्र कहा जाता था ।
गुरुत्वाकर्षण बल
आप सभी को पता ही होगा की न्युटन ने गुरुत्वाकर्षण की खोज की लेकिन यदि मैं कहूँ की गुरुत्वाकर्षण की खोज उस से पहले ही हो चुकी थी तो क्या आप यकीन करेंगे चलिए कोई बात नहीं आपको बता देते हैं की भारत में गुरुत्वाकर्षण की खोज किसने की ।प्राचीन भारत के सुप्रसिद्ध गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री भास्कराचार्य के बारे में तो अपने पढ़ा ही होगा। इन्होने ही गुरुत्वाकर्षण बल की खोज की थी सबसे पहले भारत में।