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आखिर क्यों निशाचरी कहलाती है अमावस्या, जानिए क्या है इसका रहस्य

आखिर क्यों निशाचरी कहलाती है अमावस्या, जानिए क्या है इसका रहस्य

हिंदू धर्म में अमावस्या को काफी महत्वपूर्ण माना जाता हैं कहा जाता हैं कि अमावस्या का पृथ्वी और मनुष्य के मन पर अधिक प्रभाव पड़ता हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक महीना 2 हिस्से शुक्लपक्ष और कृष्णपक्ष में बटा होता हैं इसी प्रकार हर महीने में पूर्णिमा और अमावस आती हैं शुक्लपक्ष के आखिरी दिन पूर्णिमा तो कृष्णपक्ष के अंतिम दिन अमावस्या आती हैं। कुछ लोगों में अमावस्या को लेकर डर भी रहता हैं, अमावस्या हर महीने में एक बार आती हैं इसके अलावा हर अमावस्या का अपना ही विशेष महत्व होता हैं। आज हम आपको अमावस्या से जुड़े कुछ रहस्य बतायेंगे।

अमावस्या का क्या है रहस्य

आखिर क्यों निशाचरी कहलाती है अमावस्या, जानिए क्या है इसका रहस्य

अमावस्या पंचांग के मुताबिक कृष्णपक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या होती हैं अमावस्या में रात के समय चंद्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता, कहा जाता हैं कि हिंदू कैलेंडर में वर्ष का निर्धारण सूर्य और चंद्रमा की गति और कला को जानकर किया गया हैं। कहा जाता हैं कि हर वर्ष में सूर्य पर आधारित दो अयन होते हैं उत्तरायण और दक्षिणायन, इसलिए कहा जाता हैं कि उतरायण में देव आत्माएं सक्रिय होती हैं तो वही दक्षिणायन में दैत्य और पितृ आत्माएं सक्रिय रहती हैं।

जब दानवी और दैत्य आत्माएं ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं तो व्यक्ति में भी दानवी आचरण होने लग जाता हैं इसी वजह से ऐसे दिनों में व्यक्ति का ध्यान धर्म की तरह मोड़ दिया जाता हैं। अमावस्या पर भूत-प्रेत, निशाचर, पिशाच, जानवर, पितृ और दैत्य ज्यादा सक्रिय होते हैं इसी वजह से इस दिन विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

अमावस्या पर क्या ना करें

अमावस्या के दिन व्यक्ति को किसी भी तरह के नशीले पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए, इसके अलावा तामसिक वस्तुओं का भी सेवन नहीं करना चाहिए, धर्म विशेषज्ञों के अनुसार अमावस्या ही नहीं बल्कि चौदस, और प्रतिपदा को भी व्यक्ति को पवित्र रहना चाहिए।

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आखिर क्यों निशाचरी कहलाती है अमावस्या, जानिए क्या है इसका रहस्य

किन बातों का रखें ध्यान

कोई बड़ा फैसला मत लीजिए: अमावस्या के दिन मन में अशांति रहती हैं और मन भी नियंत्रण में नहीं होता इसलिए इस दिन किसी भी तरह का बड़ा फैसला नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से आपका निर्णय गलत साबित हो सकता हैं और आपके लिए परेशानी बढ़ सकती हैं।

प्रातःकाल उठे: इस दिन ज्यादा देर तक नहीं सोना चाहिए, प्रातःकाल उठकर स्नान-ध्यान करके सूर्यदेव को जल अर्पण करना चाहिए।

ब्रह्मचर्य का पालन करें: इस दिन पति-पत्नी को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए, गरुड़ पुराण में बताया गया हैं कि इस दिन संबंध बनाने से उत्पन्न होने वाली संतान कभी सुखी नहीं रहती।

श्मशान नहीं जाए : रात के समय किसी सुनसान या श्मशान नहीं जाए क्योंकि इस दिन नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय होती हैं और वो हमें नुकसान पहुंचा सकती हैं।

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