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क्या सच में काशी स्थित बीएचयू में दिया जाता है सज़ा-ए-काला पानी?

क्या सच में काशी स्थित बीएचयू में दिया जाता है सज़ा-ए-काला पानी?

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के नाम से तो हर कोई वाकिफ ही होंगे, वाराणसी में स्थित यह केन्द्रीय विश्वविद्यालय अपनी अच्छी शिक्षा के लिए बहुत माना जाता है जिसके चलते यह सुर्खियों में बना रहता है। लेकिन इस बार क्या वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में दिया जाता हैं सज़ा-ए-काला पानी किसी और मामले की वजह से चर्चा में है जिसे सुनकर आपको शायद विश्वास नहीं होगा कि यह सब भी इतने बड़े केन्द्रीय विश्वविद्यालय में होता है। आपने सज़ा-ए-काला पानी के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन क्या ये सुना है कि किसी युनिवर्सिटी में ये सजा दी जाती है तो आपको यह बता दें कि सज़ा-ए-काला पानी कहीं और नहीं बीएचयू में दी जाती है।

क्या सच में काशी स्थित बीएचयू में दिया जाता है सज़ा-ए-काला पानी?

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में सज़ा-ए-काला पानी

यह बात सुनकर आपको यकीन नहीं हो रहा होगा लेकिन यह सच है कि बीएचयू में कर्मचारियों को सज़ा-ए-काला पानी दिया जाता है। अंग्रेजों के दौर से चली यह सजा आज तक सुनने में आती है लेकिन अपने ऐसा विश्वविद्यालय में नहीं सुना होगा। आपको बता दें कि बीएचयू के एक कर्मचारी ने बीएचयू वीसी को मेल कर एक ऑडियो भेजते हुए शिकायत की हैं। दरअसल साउथ कैंपस बरकाछा की आचार्य प्रभारी प्रो. रामदेवी निम्मन्नापल्ली पर आरोप लगने से बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी आजकल सुर्खियों में छायी हुई हैं।

बीएचयू के पूर्व अस्थाई कर्मचारी अजित यादव ने आचार्य प्रभारी प्रो. रामदेवी निम्मन्नापल्ली पर आरोप लगाया कि रामदेवी छोटे कर्मचारियों से घरेलु काम करवाती हैं। अजित यादव ने आचार्य प्रभारी प्रो. रामदेवी निम्मन्नापल्ली पर आरोप लगाते हुए बताया कि छोटे कर्मचारी रामदेवी निम्मन्नापल्ली के आदेशों का पालन बिना किसी प्रतिरोध के करने पर मजबूर हैं क्योंकि उनका भविष्य रामदेवी रहमोकरम पर निर्भर करता है। कर्मचारी शिकायत करना भी चाहे तो उसे तरह-तरह से परेशान किया जाता है जिससे वह अपनी आवाज न उठा सके।

क्या सच में काशी स्थित बीएचयू में दिया जाता है सज़ा-ए-काला पानी?

क्या है सज़ा-ए-काला पानी का सच

अजित यादव ने काला पानी के बारे में बताते हुए कहा कि ‘विरोध करने वाले कर्मचारियों को सजा के तौर पर काला पानी यानि 90 किमी दूर साउथ कैंपस बरकाछा भेज दिया जाता हैं।’ इन आरोपों के चलते काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की छवि पर खतरा मडरा रहा है। बीएचयू के पूर्व अस्थाई कर्मचारी अजित यादव ने शिकायत करते हुए सबूत के तौर पर इस केस में फोन पर हुई बातचीत के अंश का एक ऑडियो भी बीएचयू वीसी को मेल किया है।

बताया जा रहा है कि इस मामले में आगे बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी के वीसी से संपर्क नही हो पाया है और यह मामला अभी बीच में ही अटका पड़ा है। फिलहाल इस मामले में मेल की गयी ऑडियो जांच का आधार है और जब तक इसकी पुष्टि नहीं होगी तब तक इस मामले में नहीं पता चल पाएगा की इसमें कितनी सच्चाई है। सूत्रों के मुताबिक इस मामले की जाँच जारी है और शिकायत और ऑडियो ही इस मामले में जांच का विषय हैं।

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