उत्पन्ना एकादशी 2018 : जाने उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि, शुभ मुहूर्त तथा महत्व
मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाता हैं और यह इस साल 3 दिसंबर को हैं और यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित हैं| पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती हैं| धर्मशास्त्रों के मुताबिक इस व्रत को करने से अश्वमेघ यज्ञ, तीर्थ स्नान व दान इत्यादि करने से भी ज्यादा पुण्य प्राप्त होता हैं| दरअसल इसी दिन ही एकादशी देवी का जन्म भगवान विष्णु से हुआ था और इसी कारण इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता हैं|
व्रत विधि
- मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी के एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को शाम का भोजन करने के बाद अच्छी प्रकार से दातुन कर ले ताकि अन्न का अंश आपके मुँह में ना रह जाए और रात का भोजन भी ना करे|
- एकादशी के दिन प्रातः काल 4 बजे उठकर सबसे पहले व्रत का संकल्प ले और इसके पश्चात शौच इत्यादि से निवृत्त होकर शुद्ध जल से स्नान कर ले|
- इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य इत्यादि सोलह चीजों से श्री कृष्ण भगवान का पूजन करें और रात को दीपदान करे| लेकिन याद रहे की आपको रात में सोना नहीं हैं|
- इस दिन सारी रात भजन-कीर्तन आदि करना चाहिए और जो कुछ पहले जाने-अनजाने में पाप हो गए हों, उसके लिए क्षमा माँगनी चाहिए।
- प्रातः काल पुनः श्री कृष्ण भगवान की पूजा करें और योग्य ब्राह्मणों को भोजन कराये| ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद दान करे और इसके बाद ही खुद भोजन ग्रहण करे|
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उत्पन्ना एकादशी तिथि और मुहूर्त
- एकादशी व्रत तिथि- 03 दिसंबर 2018
- पारण का समय- 07:02 मिनट से 09:06 मिनट तक (4 दिसंबर 2018)
- पारण के दिन द्वादशी तिथि समाप्त- 12:19 मिनट (4 दिसंबर 2018)
- एकादशी तिथि प्रारम्भ- 2:00 बजे (2 दिसंबर 2018)
- एकादशी तिथि समाप्त- 12:59 मिनट (3 दिसंबर 2018)