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आने वाला है महाप्रलय, क्‍या सच में खत्‍म हो जाएगा सबकुछ

आने वाला है महाप्रलय, क्‍या सच में खत्‍म हो जाएगा सबकुछ

मौसम का बिगड़ता मिजाज ही आजकल देखने को मिल रहा हैं| किसी क्षेत्र में भारी बारिश तो कहीं पर सूखा की मार झेलनी पड़ रही हैं| कुछ समय पहले सूखे रहने वाले राजस्थान में बाढ़ की स्थिति आ गयी थी| वहीं बिहार भी बाढ़ के प्रकोप से बच नहीं सका था| यदि पहाड़ी इलाको की ओर देखते हैं तो हिमाचल के कई स्थान जलसंकट से जूझ रहे हैं। वर्तमान समय में वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों का स्तर दिनों ब दिन बढ़ रहा है।

आने वाला है महाप्रलय, क्‍या सच में खत्‍म हो जाएगा सबकुछ

मौसम के इस बिगड़ते मिजाज के पीछे हम मनुष्यों का ही हाथ हैं| प्रकृति मनुष्य को तब तक हानी नहीं पहुंचाती जब तक मनुष्य उसको हानी नहीं पहुंचाते हैं| यदि हम प्रकृति से खिलवाड़ करेंगे तो प्रकृति भी हम मनुष्यों को सजा देगी और ये सजा हमे देखने को भी मिल रही हैं| यदि समय रहते प्रकृति की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया तो फिर हमे प्रकृति की तबाही से कोई नहीं बचा सकता हैं|

(1) ग्रीन हाउस प्रभाव

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जिस प्रकार हमारे प्रकृति का तापमान बढ़ रहा हैं उसका प्रमुख कारण ग्रीन हाउस का प्रभाव हैं। ग्रीनहाउस प्रभाव एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें पृथ्वी की सतह और वायुमंडल वातावरण में मौजूद सूर्य की रेडिएशन, कणों और गैसों की जटिलताओं से गर्म होती है। सूरज की गर्मी का एक हिस्सा अंतरिक्ष में वापस चला जाता है लेकिन ग्रीनहाउस गैसों द्वारा गठित परत के कारण इनमें से कुछ किरणों का हिस्सा वापस नहीं जा पाता और वही हिस्सा गर्मी के शेष भाग को अवशोषित कर लेता है। वायुमंडल में पाई जाने वाली ग्रीनहाउस गैसें एक मोटा सर्कल बन जाता हैं जिसके परिणामस्वरूप सूरज की गर्मी अंतरिक्ष में वापस नहीं जाती और पृथ्वी पर तापमान बढ़ जाता है।

(2) टूट रहा सुरक्षा कवच

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कीमती पत्थरों की चट्टानें समुन्द्र में पायी जाती हैं| इन्हीं कीमती पत्थरों में एक मूंगा चट्टान हैं जो प्राकृतिक रूप से अवरोधक मानी जाती हैं| ये ज़मीन को समुद्र के पानी से बचाती हैं। यदि ये ना हो तो भारतीय प्रायद्वीप डूब सकता है। धरती के तापमान बढ़ने, समुद्र के खारापन बढ़ने और प्रदूषण के कारण मूंगा चट्टानें दिन ब दिन सफ़ेद होकर नष्ट हो रही हैं। वैज्ञानिकों द्वारा अनुमान लगाया गया हैं की 2050 तक संसार भर की सभी मूंगा पत्थरे नष्ट हो जाएंगी।

(3) सबकुछ लील जाएगा समुद्र

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बढ़ते तापमान की वजह से बर्फ़ तेज़ी से पिघल रहे है। इस बढ़ते तापमान का असर सबसे ज़्यादा ध्रुवीय जीवों पर हो रहा है। देखा जा तहा हैं की पिछले 30 सालो में पेंग्विन प्रजनन जोड़ों की संख्या 32 हज़ार से घटकर सिर्फ 11 हज़ार रह गई है। माना जा रहा हैं कि इस सदी के अंत तक समुद्र का जलस्तर 7 से 23 इंच तक बढ़ जाएगा| जिसकी वजह से समुद्रीय तटों के शहर डूब जाएंगे|

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