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एण्ड टीवी ने ‘फादर्स डे’ के मौके पर डाॅ बी.आर. आम्बेडकर के पिता रामजी मालोजी सकपाल को किया सलाम

एण्ड टीवी ने ‘फादर्स डे’ के मौके पर डाॅ बी.आर. आम्बेडकर के पिता रामजी मालोजी सकपाल को किया सलाम

मां की तरह ही पिता भी बच्चे के भावनात्मक विकास के स्तंभ होते हैं। पिता और बच्चे जैसा रिश्ता कोई दूसरा नहीं होता। यह भूमिका बच्चे पर बहुत गहरा प्रभाव छोड़ती है और उन्हें एक बेहतर इंसान बनाने में मदद करती है। ‘फादर्स डे’ के मौके पर एण्ड टीवी ने हर दौर के प्रेरणादायी लीडर, डाॅ. बी.आर आम्बेडकर को प्रेरित करने वाले उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल को याद किया।

खूबसूरत सिद्धांतों, मार्गदर्शन और सीख से बुनकर रामजी ने बाबासाहेब के जीवन को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। वह एक मार्गदर्शक, विचारक और कमाल के गुरू का एक सटीक उदाहरण हैं। रामजी मालोजी और उनके ही जैसे कई अन्य पिताओं को फादर्स डे पर याद करने के लिये एण्ड टीवी एक स्पेशल एपिसोड ‘एक प्रेरणा रामजी सकपाल’ का प्रसारण करेगा। ‘एक महानायक-डाॅ. बी.आर आम्बेडकर’ शो से रामजी और नन्हें बाबासाहेब के बीच के कुछ यादगार पलों को, 21 जून, रविवार दोपहर 2 बजे प्रसारित किया जायेगा।

एण्ड टीवी के कुछ कलाकार रामजी सकपाल की सीख से प्रेरित होते हुए इस बारे में अपने विचार व्यक्त किये हैं। उन्होंने बताया कि क्यों वो उन्हें आदर्श के तौर पर देखते हैं और डाॅ. आम्बेडकर के जीवन और विचारों में उनका क्या योगदान रहा।

‘एक महानायक डाॅ. बी.आर आम्बेडकर’ में रामजी मालोजी सकपाल की भूमिका निभा रहे, जगन्नाथ निवानगुने अपनी बात रखते हुए कहते हैं, ‘‘रामजी एक सेना अधिकारी थे और सूबेदार के पद पर थे। अपने सिद्धांतों और विचारों को लेकर वे काफी दृढ़ थे। उन्होंने अपने बच्चों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की पूरी आजादी दी थी। बाबासाहेब के जीवन पर उनका काफी प्रभाव था। हर मुश्किल परिस्थिति में उनका सहयोग और उनकी चिंता अद्भुत थी और अपने बच्चों की बेहतरी के लिये वे पूरी तरह समर्पित थे। रामजी अपने महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी बेटे की मुश्किल परिस्थिति में एक मजबूत स्तंभ की तरह उनके साथ खड़े रहे। वह अपने मूल्यों और सीख पर हमेशा ही डटे रहते थे। अपने पिता के बताये रास्ते पर चलकर डाॅ. बी.आर आम्बेडकर दुनिया में अपनी एक पहचान बनाने के ऐतिहासिक सफर पर निकल पड़े थे। हमें उस लीडर के पीछे जिस पुरुष का हाथ है, उन्हें शुक्रिया कहना चाहिये, जिन्होंने अपने बेटे की परवरिश इस तरह की, कि वो अपने दौर के प्रेरक लीडर बने। रामजी, बाबासाहेब के ना केवल सपोर्ट सिस्टम थे, बल्कि वह पूरे परिवार की रीढ़ थे और सबको उन्होंने एक साथ जोड़कर रखा था।’’

कामना पाठक, एण्ड टीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन की राजेश कहती हैं, ‘‘रामजी और बाबासाहेब के बीच जैसा रिश्ता था वह सीख देता है। उनकी कई बातें मुझे प्रेरित करती हैं। मुझे ‘एक महानायक-डाॅ. बी.आर आम्बेडकर’ शो का एक ऐसा ही सीन याद है, जहां नन्हे आम्बेडकर, रामजी से कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि वह अपने पिता को नहीं समझते और उन्हें इस बात पर आपत्ति नहीं लेनी चाहिये जब वह बाला के साथ बहस करे। इस पर रामजी उनसे कहते हैं, बहस करना अच्छी बात होती है और कोई भी हो उसे अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिये या फिर वह जिस पर दिल से यकीन करता है। उस बात ने मुझे सिखाया कि किसी को भी सच के लिये लड़ना चाहिये, चाहे कुछ भी हो। झूठ के साथ सामंजस्य बिठा लेने से आपको वो संतोष और आंतरिक शांति नहीं मिलती। एक स्वस्थ चर्चा होनी चाहिये, यह अन्याय से न्याय को, सच से झूठ को अलग करता है। बहस हमेशा हार या जीत के रूप में ही हो ऐसा नहीं है, लेकिन इससे आत्मविश्वास बनता है और खुद के लिये आवाज उठाने में मदद मिलती है।’’

आसिफ शेख, एण्ड टीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं’ के विभूति नारायण कहते हैं, ‘‘मुझे याद है, इस शो में भीमराव और रामजी के बीच एक खूबसूरत और प्रेरित करने वाला पल है। भीम स्कूल जाने से मना करते हैं, क्योंकि उनके साथ भेदभाव किया जाता है और उन्हें क्लास के बाहर बिठाया जाता है। इसके लिये रामजी एक अलग दृष्टिकोण से सूरज की रोशनी का उदाहरण देते हैं। वह उनसे कहते हैं, शिक्षा सूरज की गरमी की तरह है। चाहे आप कहीं भी, सूरज की गरमी कहीं कम नहीं होती और सूरज की रोशनी हर किसी के पास बिना किसी भेदभाव के समान रूप से पहुंचती है। क्लास में सामने या पीछे बैठना किसी की ज्ञान अर्जित करने की क्षमता को प्रभावित नहीं कर सकता। फर्क इस बात से पड़ता है कि कोई कितना सीखता और समझता है।’’

अपनी बात आगे रखते हुए आसिफ कहते हैं, ‘‘इससे हमें पता चलता है कि पिता सिर्फ एक पेरेंट नहीं होते, बल्कि एक टीचर भी होते हैं, समस्या हल करने वाले और अपने बच्चे के दोस्त भी होते हैं। एक सपोर्ट करने वाले पिता बच्चे के ज्ञान और उसके सामाजिक विकास पर काफी प्रभाव डालते हैं। वह बच्चे में पूर्णता और आत्मविश्वास की भावना भी डालते हैं। ‘फादर्स डे’ के मौके पर आइये रामजी सकपाल की प्रेरक बातों को याद करें, जिसने बाबासाहेब को इतिहास का प्रेरक लीडर बना दिया।

सारिका बहरोलिया, ‘गुड़िया हमारी सभी पे भारी’ की गुड़िया कहती हैं, ‘‘जितनी कम उम्र से रामजी ने जिस तरह की सीख और मूल्य उनमें डाले, उससे बाबासाहेब के व्यक्तित्व और ज्ञान को आकार देने में मदद मिली। बाबासाहेब प्रमुख दूरदर्शी लीडर्स में से हैं, जिन्होंने आज भारत जैसा प्रगतिशील देश है वैसा बनाया। इस शो में उन दोनों के बीच सबसे यादगार पल मुझे याद है, जब भीमराव बड़ी ही मासूमियत से पूछते हैं कि क्लास में अव्वल आने से समाज में किस तरह बदलाव होगा। और इस पर रामजी उनसे कहते हैं, लोग तब तक तुम्हारी उपलब्धियों को नहीं मानेंगे और उसे पहचान देंगे, जब तक कि सीधे तौर पर उन पर प्रभाव ना पड़े। उन्होंने बताया कि सिर्फ शिक्षा के जरिये ही वह लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर सकते हैं और उसे बदल सकते हैं। सबसे बड़ा ईनाम लोगों का प्यार और सम्मान होता है, जिसे कोई निःस्वार्थ सेवा के जरिये ही कमा सकता है।’’

तो इस ‘फादर्स डे’,एक स्पेशल एपिसोड ‘एक प्रेरणा रामजी सकपाल’ के माध्यम से उस सफर का हिस्सा बनिये जिसमें रामजी मालोजी सकपाल ने प्रेरक नेता डाॅ. बी.आर आम्बेडकर के भविष्य को संवारने का काम किया, इसका प्रसारण 21 जून, रविवार दोपहर 2 बजे केवल एण्ड टीवी पर किया जायेगा

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