सिर्फ इस एक चीज से बांध लीजिए शनिदेव से पक्का रिश्ता, फिर देखेंगे चमत्कार
जैसा की हम सभी जानते हैं की शनिदेव सूर्य और छाया के पुत्र हैं, लेकिन रंग-रूप बिल्कुल वे दोनों से बिलकुल अलग हैं क्योंकि जहाँ सूर्य एकदम चमकते-दमकते और शनि तवे जैसे काले और उसपर उनका क्रोधी स्वभाव। कहा जाता है की एक बार सूर्यदेव को संदेह हो गया कि क्या वाकई शनि उनके पुत्र हैं, उनके इस शक को देवताओं ने और बढ़ाने का काम किया और अपने ही पति के इस आरोप से छाया व्यथित हो उठीं, सूर्यदेव ने पुत्र सहित छाया का त्याग कर दिया। कहते हैं बड़े होने पर जब शनि ने मां से अपने पिता के बारे में पूछा तो छाया ने पूरी कहानी बताई।
शनि के लिए ये एक ऐसी मुश्किल की घड़ी थी, जिसका समाधान करना उनके जीवन का सबसे बड़ा मकसद बन गया। कहते हैं तब शनिदेव ने हिमाचल प्रदेश के महाकाल मंदिर में आकर शिव की आराधना की और घनघोर तप किया. शनि की पूजा और आंसुओं ने महाकाल को पिघला दिया।
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महाकाल के आशीर्वाद ने शनिदेव को इतना शक्तिशाली बना दिया कि इंसान क्या देवता भी उनसे खौंफ खाते हैं। इतना ही नहीं महाकाल ने सूर्य देव को भी ये विश्वास दिला दिया कि शनि उन्हीं के पुत्र हैं। तभी से इस मंदिर से शनि देव और शिव जी दोनों की ही आस्था जुड़ गयी और इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता हैं की यदि इस मंदिर के खम्भे में कोई भी भक्त कच्चा धागा बाँध देता है तो उसे शनिदेव का वरदान मिल जाता है।