सुनंदा पुष्कर केस : बतौर आरोपी कोर्ट ने शशि थरूर को 7 जुलाई को पेश होने का दिया आदेश
करीब चार वर्ष पहले 17 जनवरी, 2014 की रात दिल्ली के लीला होटल के कमरा नंबर 345 में काँग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर मृत पाई गई थीं। जानकारी थी की कमरे में उनकी बॉडी बेड पर पड़ी मिली थी। उस दौरान दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू की और करीब एक साल बाद इसे मर्डर का मामला बताते हुए केस दर्ज किया था।
अब एक बार फिर से सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में उनके पति और कांग्रेस सांसद शशि थरूर पर बतौर आरोपी केस चलेगा। मंगलवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने उन्हें समन भेजकर 7 जुलाई को हाजिर होने का आदेश दिया है। 28 मई को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस केस में थरूर को आरोपी बनाए जाने पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में सुनंदा के पति को आत्महत्या के लिए उकसाने और पत्नी के साथ क्रूरता का आरोपी बनाया है। बता दें कि जनवरी, 2014 को दिल्ली के एक लग्जरी होटल में सुनंदा मृत पाई गई थीं।
कांग्रेस नेता ने चार्जशीट को हास्यास्पद कहा था
शशि थरूर ने ट्वीट में चार्जशीट को हास्यास्पद बताया था। कहा कि इसके खिलाफ पूरी ताकत के लडूंगा। जो कोई भी सुनंदा को जानता था उसे यह बात पता है कि केवल मेरे उकसाने से वह आत्महत्या नहीं कर सकती है।
कांग्रेस नेता ने दूसरे ट्वीट में लिखा, ”इसे दिल्ली पुलिस की सही जांच और मंशा नहीं कहा जा सकता है। पिछले साल अक्टूबर 17 को उनके कानूनी अफसर ने हाईकोर्ट में कहा था कि पुलिस को जांच में किसी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। अब 6 महीने बाद पुलिस दावा कर रही है कि मैंने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाया। यह अविश्वसनीय है।”
चार्जशीट में दो धाराओं का जिक्र, थरूर अकेले आरोपी
14 मई को दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दायर की। 3 हजार पन्नों की चार्जशीट में सांसद शशि थरूर अकेले आरोपी हैं। इसमें आईपीसी 498ए (महिला पर क्रूरता के लिए पति या उसका कोई संबंधी जिम्मेदार) और आईपीसी 306 (खुदकुशी के लिए उकसाना) का जिक्र है।
पुलिस की मांग है कि कोर्ट शशि थरूर को बतौर आरोपी समन भेजे, उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। केस में थरूर का नौकर नारायण सिंह भी मुख्य गवाह बना है। बता दें कि आईपीसी 498ए में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 3 साल और आईपीसी 306 में 10 साल की सजा का प्रावधान है।
सीक्रेट रिपोर्ट में क्या हुआ था खुलासा
मार्च 2018 में आई सीक्रेट रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस को पहले दिन से पता था कि उनकी हत्या हुई है। दिल्ली पुलिस के डिप्टी कमिश्नर बी. एस जायसवाल ने जो पहली रिपोर्ट तैयार की थी, उसमें साफ तौर पर जिक्र था कि वसंत विहार के एसडीएम आलोक शर्मा ने निरीक्षण के बाद कहा था कि यह सुसाइड नहीं है।
इस आधार पर सरोजिनी नगर के एसएचओ को इस मामले की जांच हत्या के तौर पर भी करने को कहा था। ‘ऑटोप्सी रिपोर्ट’ को देखते हुए कहा था कि मौत की वजह शरीर में जहरीला पदार्थ पहुंचना है। शरीर पर मौजूद कुछ जख्म को देखते हुए भी लगता है कि मारपीट या फिर किसी से जद्दोजहद के दौरान लगने वाले चोट का संकेत दे रहे हैं। रिपोर्ट में इंजेक्शन के निशान को भी ताजा बताया गया था।
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Source : Dainik Bhaskar