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भारत के इन पकवानों की कहानी है बेहद अलग, जानकर आपको भी हो जाएगा इनसे प्यार

भारत के इन पकवानों की कहानी है बेहद अलग, जानकर आपको भी हो जाएगा इनसे प्यार

जिस प्रकार हमारें देश मे अलग-अलग तरह की भाषाएं बोली जाती हैं उसी प्रकार हमारें देश मे अलग-अलग तरह तरह के व्यंजन भी प्रसिद्ध हैं, उनमें से कुछ ऐसे व्यंजन हैं जो बहुत से लोगों को काफी प्रिय होते हैं पर क्या आपको अपने पसंदीदा व्यंजनों के इतिहास के बारें में पता हैं अगर नहीं, तो चलिए आज हम आपको भारत के इन पकवानों की कुछ कहानियों के बारें में बताने जा रहें हैं।

भारत के इन पकवानों का हर कोई है दीवाना

भारत के इन पकवानों की कहानी है बेहद अलग, जानकर आपको भी हो जाएगा इनसे प्यार

जलेबी

जलेबी एक ऐसा मिठाई हैं जिसे लगभग हर देशवासी पसंद करता हैं और बहुत से राज्यों में तो सुबह नाश्ते में ही जलेबी का सेवन किया जाता हैं पर क्या आपको पता हैं कि जलेबी भारत की मिठाई नहीं हैं बल्कि जलेबी की खोज पश्चिमी एशिया में हुई थीं। सबसे पहले इस तरह की मिठाई की शुरुआत अरब देशों से हुई थीं।

मैसूर पाक

इस मिठाई की शुरुआत 20 सदी की शुरुआत के आस-पास मानी जाती हैं, कहा जाता हैं कि उस समय के मैसूर के राजा नालवादी कृष्णराजा को मिठाई खाना बहुत पसंद था, तब उनके लिए उनके खानसामा से उनके लिए एक नई मिठाई बनाई जिसे जब राजा ने अपनी जीभ पर उस मिठाई को रखा तो वो तुरतं घुल गई। जब खानसामे से उस मिठाई का नाम पूछा तो उसने कहा कि इस मिठाई की खोज मैसूर में हुई थी इसलिए इसका नाम मैसूर पाक रखना चाहिए।

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दाल-बाटी

इन सब के अलावा भारत के इन पकवानों में दाल-बाटी राजस्थान की एक मशहूर डिश हैं, दाल-बाटी की शुरुआत रजवाड़ो के समय हुई थी, इसकी खोज युद्धों के दौरान हुई थीं, दरअसल दाल-बाटी को बनाने के लिए कम पानी का इस्तेमाल होता हैं और इसे देशी घी के द्वारा बनाया जाता हैं। बाटी को खाकर सैनिकों को जंग में लड़ने की ताकत मिलती थी और पानी की कम मात्रा होने से उसे लंबे समय तक लड़ने की हिम्मत मिलती थीं।

पेठा

आगरा दो चीज़ो के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं ताजमहल और पेठा, जो भी पर्यटक आगरा घूमने आता हैं वो पेठा खाए बिना नहीं रह सकता। पेठे की खोज ताजमहल के समय की हैं इतिहासकारों के अनुसार तब ताजमहल का निर्माण किया जा रहा था तो वहां लगे 21 हजार मजदूर एक जैसा खाना खाने से ऊब चुके थे, तब इस बात की जानकारी शाहजहां तक गई और फिर शाहजहां ने इस बात की खबर ताजमहल के शिल्पकार को बताई। तब वो शिल्पकार पीर नक्शबंदी साहिब के पास गया। प्रचलित कथाओं के अनुसार पेठा बनाने के बारें में उन्हें अल्लाह ने बताया था, तब जाकर लगभग 500 खानसामों ने एक मिठाई तैयार की जिसका नाम पेठा रखा गया।

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