गजब: दिन में दो बार गायब हो जाता है भगवान शिव का ये चमत्कारी मंदिर, कार्तिकेय नें स्वयं बनावाया था शिवालय
अगर मैं कहूँ कि गुजरात में एक ऐसा शिव मंदिर हैं जो दिन में दो बार गायब हो जाता हैं तो आप मेरी बात से सहमत नहीं होंगे लेकिन यह बात सत्य हैं कि गुजरात के वड़ोदरा से 85 किमी दूर स्थित जंबूसर तहसील के कावी-मुंबई गांव का यह मंदिर अपनी एक अलग खास पहचान रखता है। दिन में दो बार गायब होने वाले मंदिर का नाम स्तंभेश्वर महादेव हैं|
जो कि दिन में दो बार यानि सुबह और शाम को कुछ क्षण के लिए गायब हो जाता है और थोड़ी ही देर बाद अपने आप वापस आ जाता है। इस मंदिर के गायब होने के पीछे एक ठोस वजह है। दरअसल यह मंदिर अरब सागर के पास स्थित है और ज्वार-भाटा उठने के चलते ऐसा होता है। ऐसे में यदि आप शिवलिंग के दर्शन करना चाहते हैं, तो समुद्र में ज्वार कम होने पर ही कर सकते हैं। यह मंदिर अरब सागर के मध्य केम्बे तट पर स्थित है।
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ऐसे हुआ मंदिर का निर्माण
इस मंदिर के निर्माण के बारे में स्कंदपुराण में एक कथा उल्लेखित हैं| स्कंदपुराण के अनुसार एक बार राक्षस ताड़कासुर ने अपनी कठोर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया था। जब शिव जी उसके सामने प्रकट हुए तो उसने शिव जी से वरदान मांगा कि मुझे सिर्फ आपका पुत्र ही मार सकेगा और वह सिर्फ 6 दिन का था। उसकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे यह वरदान दे दिया।
वरदान मिलते ही ताड़कासुर ने हाहाकार मचाना शुरु कर दिया। वह देवताओं और ऋषियों को बहुत प्रताड़ित करने लगा। ऐसे में सभी देवतागण और ऋषि मुनि भगवान शिव जी के शरण में पहुंचे। शिव-शक्ति से श्वेत पर्वत के कुंड में उत्पन्न हुए कार्तिकेय ने 6 दिन की आयु में ही ताड़कासुर का वध कर दिया। जब कार्तिकेय को पता चला कि ताड़कासुर भगवान शिव जी का भक्त था|
इस बात से वो काफी व्यथित हो गए। कार्तिकेय को इस हाल में देखकर भगवान विष्णु ने कार्तिकेय से कहा कि वो वधस्थल पर शिवालय बनवा दें। इससे उनका मन शांत हो जाएगा। कार्तिकेय ने विष्णु जी कि बात मानकर ऐसा ही किया। फिर सभी देवताओं ने मिलकर महिसासुर संगम तीर्थ पर विश्वनंदक स्तंभ की स्थापना की। जिसे आज स्तंभेश्वर तीर्थ के नाम से जाना जाता है। ये थी स्कंदपुराण की कथा जिसमें इस मंदिर के निर्माण के बारे में बताया गया था|