
कभी करता था 1000 रु महीने की नौकरी, एक आईडिया ने बना दिया करोड़पति
भारत में टैलेंट की कोई कमी नहीं है कमी है तो बस टैलेंट को पहचानने की और और उससे अपनी एक अलग पहचान बनाने की, जिसने ऐसा कर दिया तो कोई भी उसको सफलता हासिल करने से नहीं रोक सकता है। ‘जहां चाह वहां राह’ यह बात 40 वर्षीय बोलापल्ली श्रीकांत ने सच में साबित कर दी है। जी हां आज हम आपको बोलापल्ली की सफलता के बारे में बताएंगे जिसे जानकर आपको उनके जीवन से बहुत कुछ सिखने को मिलेगा। बोलापल्ली श्रीकांत की सफलता की कहानी बेहद दिलचस्प है। बोलापल्ली श्रीकांत ने बहुत ही छोटी उम्र से ही अपने परिवार के लिए कमाना शुरू किया था। बेंगलुरू के विल्सन गार्डन में रहने वाले श्रीकांत ने दसवीं में ही अपनी पढ़ाई छोड़ नौकरी करने का फैसला लिया।
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दरअसल श्रीकांत का परिवार खेती पर निर्भर था और उन पर काफी कर्ज भी था, ऐसे में श्रीकांत अपनी पढ़ाई छोड़ तेलंगाना के निज़ामाबाद जिले में अपने गृहनगर से नालमंगला, जो बंगलुरू के बाहरी इलाके में स्थित है, एक परिचित के फूलों के फार्म में काम करने लगे थे। वह यहां अठारह से बीस घंटे काम करते थे और दो साल के भीतर ही वह फूलों की खेती के बिज़नेस के बारे में सब कुछ समझ गए और यहां से उन्होंने कुछ अलग करने का फैसला लिया जिसने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। श्रीकांत जब18 वर्ष के ही हुए थे तब उन्होंने नौकरी छोड़ खुद का बिज़नेस शुरू किया। उनके इस फैसले में उनके परिवार वाले सहमत नहीं थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और 20,000 रुपयों से अपने फूलों के रिटेल का बिज़नेस शुरू किया।
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20,000 रुपयों से अपने सपनों को पूरा करने निकले श्रीकांत आज भारत में फूलों की खेती करने वालों की सूची में जाने माने नाम हैं। कल्टीवेशन, हार्ववेस्टिंग, मार्केटिंग और उन्हें निर्यात करने में श्रीकांत माहिर हो गए और उन्होंने बेंगलुरू के विल्सन गार्डन में स्थित अपने घर पर ही 200 स्क्वायर फ़ीट की जगह पर अपनी फूलों की दुकान खोल अपना काम शुरू किया। दो सालों में ही उनका बिज़नेस चल पड़ा और उनके ग्राहक बढ़ते चले गए जिसके चलते 2005 में डोडाबल्लापुर तलूक के तुबगेरे में 30 एकड़ की जमीन खरीद उस पर फूलों की खेती शुरू कर दी और श्रीकांत फार्म्स इसका नाम रखा गया।
श्रीकांत के फूल बड़े-बड़े होटलों, शादी, जन्मदिन और बहुत सारे आयोजनों में जाने लगे और देखते ही देखते 2009-10 तक उन्होंने इसे 30 एकड़ में अपना काम शुरू कर दिया। वेनसाई फ्लोरिटेक नाम श्रीकांत ने अपने फूलों की खेती के बिज़नेस को दिया और इस नाम से आज भारत में हर कोई परिचित है। बता दें कि श्रीकांत यहीं तक नहीं रुके उन्होंने बाद में तमिलनाडु के नीलगिरिस जिले के कुनूर में 10 एकड़ और जमीन खरीदी जिसके लिए उन्होंने बैंक से 15 करोड़ का लोन लिया। श्रीकांत फार्म्स फूलों की खुशबु से महक उठा, इस फार्म में लाब, जरबेरा, कारनेशन और गयसोफिलिया ग्रीनहाउस और पॉलीहॉउस में लगाया जाता है। कुनूर में लिलियम्स और कार्नेशन्स लगाया जाता है।
फूलों की खुशबु से श्रीकांत का पूरा जीवन महकने लगा। आपको बता दें कि श्रीकांत का केवल 10% बिज़नेस उनके खेतों के फूलों से होता है और वह ऊटी, कोडाइकनाल से मंगाते हैं। बढ़ती मांग को देखते हुए वह फूलों का आयात थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और हॉलैंड से भी करते हैं। 1000 रूपये महीने की पगार में नौकरी करने वाले श्रीकांत का वार्षिक टर्न-ओवर आज 70 करोड़ रूपये का है और उनके विल्सन गार्डन स्थित फार्म में आज 300 कर्मचारी काम करते हैं और 80 कर्मचारियों के रहने-खाने की व्यवस्था भी उनके फार्म में हैं। श्रीकांत ने युवाओं को कहा कि ‘युग पीढ़ी को बड़े सपने देखना चाहिए और बहुत आवश्यक परिवर्तन के बारे में सोचना चाहिए। केवल युवा ही बाधाओं को तोड़ सकते हैं और खुद को आज़ाद कर सकते हैं। कुछ नया और कुछ अलग करके, जो मैंने किया है।’