रात को सोने से पहले बोल लें रामायण की ये चौपाई, हर मनोकामना हो जाएगी पूरी
इस बात से हम सब बेहतर वाकिफ है कि किसी भी कार्य को करने की एक निश्चित प्रकिया और एक निश्चित समय होता है, तभी वह कार्य पूरा हो सकता है और ख़ास कर अगर वह कार्य धर्म से जुड़ा हो तो| हम सभी को पता ही है कि रामायण की रचना तुलसीदास जी द्वारा की गयी है और उसमे बहुत सी चौपाइयों का वर्णन है जिसको पढ़ने से आपकी समस्याओं का समाधान हो सकता है।
रामायण में सभी समस्याओं का हल भी दिया गया है, बस जरूरत है उसे ठीक तरह समझकर पढ़ने की| आज हम आपको रामायण की जिस चौपाई के बारे में बताने जा रहे हैं उस चौपाई को अगर आप पूरे आस्था और निष्ठा से करते हैं तो आपकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जायेंगे, तो चलिए जानते हैं उस चौपाई को कैसे और कब पढ़ना चाहिए।
चौपाई
जो प्रभु दीनदयाला कहावा। आरति हरन बेद जस गाबा।।
जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी।।
दीनदयाल बिरद संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी
इस चौपाई को रात को सोने से पहले पढ़ना चाहिए, इस चौपाई को पढ़ने से बड़े से बड़े संकट टल जाते हैं और हमें उन कठिन समस्याओं से लड़ने की क्षमता भी प्राप्त होती है| इस चौपाई को पढ़ने के बाद प्रतिदिन राम भगवान जी की एक जाप जरूर करना चाहिए|
याद रखें जब आप यह चौपाई पढ़ने जा रहे हों उस वक़्त आप साफ़ जगह पर बैठे हो| ऐसा माना जाता है कि अगर आप काम समय में बहुत कुछ हासिल करना चाहते हैं तो आपको धर्म पर विश्वास रखना जरूरी है क्यूंकि वही एक रास्ता है जिससे हमें सकारात्मक शक्तियां प्राप्त होती हैं| अगर आप इस चौपाई को निरंतर सोने से पहले पढ़ते हैं तो आप कुछ ही दिनों में अपने लक्ष्य के बहुत करीब होंगे और आपके सभी संकट दूर होंगे|