प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद इस देश की यात्रा पर जा सकते हैं मोदी
पीएम मोदी देश के सत्ता में वापसी कर चुके हैं और अब बस आधिकारिक रूप से उनका शपथ समारोह होना ही बाकी है। मोदी के साथ इस बार जो भी कैबिनेट के मंत्री साथ शपथ लेंगे उनके नामों की घोषणा भी जल्द ही कर दी जाएगी। 30 मई को होने वाली पीएम मोदी की दूसरी शपथ समारोह भी राष्ट्रपति भवन में ही आयोजित होगी। इसी बीच नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा की चर्चा भी होना शुरू हो गयी है। सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री जून के पहले 15 दिनों में अपने दूसरे कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा पर जायेंगे। आइये आपको बताते हैं कि कौन सा है वह देश जहां प्रधानमंत्री पहली यात्रा कर सकते हैं।
जब 2014 में नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तब वह पहली बार भूटान की यात्रा पर गए थे। इस बार अनुमान लगाया जा रहा है कि दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नरेंद्र मोदी सबसे पहले मालदीव की यात्रा पर जा सकते हैं। मालदीव की मीडिया के अनुसार मोदी 7-8 जून को मालदीव की यात्रा पर जा सकते हैं। आपको बता दें कि उनकी यह यात्रा हिंद महासागर के द्वीपसमूह में लोकतांत्रिक सुधारों के लिए भारत के समर्थन का संकेत है। प्रधानमंत्री की जून में मालदीव की यात्रा उनकी उनकी राजनयिक व्यस्तताओं की एक शुरुआत होगी, क्यूंकि मालदीव के दौरे के तुरंत बाद प्रधानमंत्री 13-14 जून को किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जायेंगे और फिर जी 20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 28-29 जून के दौरान जापान में ओसाका में होंगे।
पहले भी मालदीव जा चुके हैं प्रधानमंत्री
आपको बता दें कि अपने पहले कार्यकाल के दौरान, मोदी ने मालदीव सहित सभी दक्षिण एशियाई देशों का दौरा किया था जो नवंबर 2018 में उनकी आखिरी विदेश यात्रा थी। उन्हें नवंबर में राष्ट्रपति इब्राहिम सोलीह के उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किए गया था। पीएम मोदी उस समारोह में राज्य के एकमात्र प्रमुख अतिथि थे। 2014 में पद संभालने के बाद उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन द्वारा विपक्षी कार्यकर्ताओं के दमन के कारण अपने पहले कार्यकाल के शुरुआती दिनों में यात्रा को रद्द कर दिया था।
क्या है मालदीव जाने की वजह ?
भारत के पड़ोसी देशो से सम्बन्ध एक महत्वपूर्ण विदेश नीति की प्राथमिकता है। पिछले कुछ समय से भारत और मालदीव के सम्बन्ध कुछ ठीक नहीं चल रहे थे। कारण यह था कि पिछले साल फरवरी में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी जिसके बाद भारत के समर्थक के रूप में काम कर रहे कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। तब भारत ने इस फैसले की आलोचना की थी और कहा था कि सरकार को लोकतंत्र का सम्मान करना चाहिए। यह आपातकाल 45 दिनों तक चला था जिससे भारत के भारत की व्यावसायिक हितों को नुकसान पहुंचा था। अब मोदी का यह यात्रा रिश्तों को सुधारने की एक पहल है।