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काशी के इस मकान में लोग आकर करते हैं मौत का इंतजार, 15 हजार से भी ज्यादा लोगों ने यहां त्यागे प्राण

काशी के इस मकान में लोग आकर करते हैं मौत का इंतजार, 15 हजार से भी ज्यादा लोगों ने यहां त्यागे प्राण

काशी नगरी वाराणसी स्थित एक पौराणिक नगरी है। माना जाता है कि ये संसार की सबसे पुरानी नगरी है। विश्व के सबसे प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद में भी काशी का उल्लेख किया गया है। मान्यता है कि विश्वनाथ जी की अति श्रेष्ठ नगरी काशी में जन्म लेने का अर्थ है कि आपने पूर्वजन्म में काफी पुण्य किए हैं, उन्हीं के फलस्वरूप किसी का जन्म काशी में हुआ है। यहां पर अगर किसी व्यक्ति का प्राण निकलता है तो वो मोक्ष को प्राप्त करता है। तो वहां लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए जाते ही रहते हैं और अभी भी ये सिलसिला जारी ही है।

काशी के इस मकान में लोग आकर करते हैं मौत का इंतजार, 15 हजार से भी ज्यादा लोगों ने यहां त्यागे प्राण

यहां पर एक मकान है जो लोगों को मोक्ष प्रदान करने में मदद कर रहा है। वाराणसी के गोदौलिया में काशी लाभ मुक्ति भवन नाम का एक धर्मशाला है जिसमें मोक्ष प्राप्ति के लिए लोग दुनिया भर से आते हैं। ये मोक्ष भवन साठ साल पुराना है और इसमें 12 कमरे हैं। इन कमरों में लोग रहकर अपनी मौत का इंतजार करते हैं। अभी तक इसमें कई लोग सांसारिक जीवन से मुक्ति पा चुके हैं।

काशी के इस मकान में लोग आकर करते हैं मौत का इंतजार, 15 हजार से भी ज्यादा लोगों ने यहां त्यागे प्राण

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शायद ये दुनिया का पहला धर्मशाला होगा जहां पर लोगों के मरने से वहां की शान घटती नहीं है बल्कि बढ़ती है। इस धर्मशाला में एक और खास बात ये है कि यहां पर लोगों के रहने के लिए कोई पैसे नहीं लगते हैं। सूत्रों के मुताबिक वहां के लोगों से पता चला कि यहां पर हर दिन किसी न किसी को मोक्ष प्राप्त होता ही है। आश्चर्य की बात तो ये है कि यहां अब तक 15 हजार से भी ज्यादा लोगों ने अपना प्राण त्याग दिया है। काशी में मोक्ष प्राप्ति के लिए आए अपने परिजनों के साथ वृद्ध हो चुके लोगों को एक कमरा दिया जाता है तथा इसके साथ ही उन्हें 15 दिन का समय दिया जाता है ।

काशी के इस मकान में लोग आकर करते हैं मौत का इंतजार, 15 हजार से भी ज्यादा लोगों ने यहां त्यागे प्राण

यदि उस निर्धारित समय में उनकी मृत्यु नहीं होती तो उन्हें वहां से जाने का अनुरोध किया जाता है तथा इसके साथ ही वो लोग वहां से अपने परिजनों के साथ लौट आते हैं। इस भवन में सुबह शाम रामायण और गीता का पाठ चलता रहता है तथा हर रोज शाम के समय सत्यनारायण भगवान की आरती होती है। इस दौरान वृद्ध लोगों को रोजाना गंगाजल और तुलसी का सेवन कराया जाता है ताकि उनका प्राण निकलने में कोई कठिनाई ना हो। सच में ये काशी का मुक्ति भवन अपने आप में काफी अलग है। लेकिन इसके बारे में अभी बहुत कम लोग ही जानते हैं।

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