समंदर का सिकंदर INS विराट की ये है खासियत, जानें इसका इतिहास
आज़ादी के लगभग 62 वर्षों के बाद अब भारत को दुनिया के बड़े शक्तिशाली देशों में गिना जाने लगा है। यदि सुरक्षा की दृष्टि से बात की जाए तो भारत की थलसेना अमेरिका, चीन और रूस के बाद विश्व की चौथी सबसे ताकतवर सेना है। वही भारतीय वायु सेना दुनिया में लगभग 1.7 लाख वायुसेना अधिकारियों और लगभग 1500 विमानों के साथ अमेरिका, रूस और इज़राइल के बाद सबसे मजबूत वायु सेना की सूची में 4 वें स्थान पर है। अब बात करते हैं अपने देश की जलसेना के बारे में, तो आपको बता दें कि टैंकों, विमानों, हेलीकॉप्टरों और पनडुब्बियों की संख्या के आधार पर भारतीय जलसेना विश्व में पांचवे स्थान पर है। वर्तमान समय में भारतीय जलसेना के पास अभी 140 युद्धपोत और 220 एयरक्राफ्ट हैं और 32 युद्धपोतों का अभी निर्माण चल रहा है। आज हम भारतीय नौसेना के एक बहुचर्चित युद्धपोत आईएनएस विराट के विषय में आपको बताएँगे।
सबसे पहले बात करते हैं भारतीय जलसेना के इतिहास के बारे में, तो आपको बता दें कि भारतीय नौसेना को पहला विमानवाहक युद्धपोत 1961 में मिला था, जिसका नाम था ‘आईएनएस विक्रांत’ था। आईएनएस विक्रांत को1943 में HMS हरक्यूलिस के रूप में ब्रिटिश रॉयल नेवी के लिए बनाया गया था और जिसने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कार्रवाई देखी थी। जिसे भारत ने रॉयल नेवी से खरीद लिया था। यह युद्धपोत भारत की सुरक्षा में 71 वर्षों तक सेवा में था। यह वही आईएनएस विक्रांत था जिसको डुबोने के लिए पाकिस्तान ने खुफिया मिशन के तहत अपनी सबसे बेहतरीन पनडुब्बी पीएनएस गाजी को विशाखापट्टनम भेजा था। लेकिन उसका यह दांव उलटा पड़ गया और गाजी समुद्र में डूब गई थी।
आईएनएस विराट को आईएनएस विक्रांत की ही जगह लाया गया था। आईएनएस विराट को साल 1987 में जलसेना में शामिल किया गया था इस युद्धपोत ने भारत को 30 वर्षों तक सेवा प्रदान की। इसे भारतीय नौसेना से 6 मार्च 2017 को इसे डीकमीशंड किया गया था, जबकि इसे नौसेना की सर्विस से 23 जुलाई 2016 को ही हटा दिया गया था। आपको बता दें कि इसे संरक्षित करने के विषय में चर्चा चल रही है, 1 नवंबर 2018 को महाराष्ट्र कैबिनेट ने भारत के पहले समुद्री संग्रहालय और समुद्री साहसिक केंद्र के रूप में युद्धपोत विराट को संरक्षित करने को मंजूरी दी। यह संग्रहालय सिंधुदुर्ग जिले के पास स्थित होगा।
जाने क्या थी आईएनएस विराट की खासियत
1. यह भारत का पहला विमानवाहक युद्धपोत था जिस पर 26 विमान खड़े होते थे जिसमे कि जिसमें 18 फाइटर प्लेन, सीकिंग हेलीकॉप्टर, दो ध्रुव और चार चेतक हेलीकॉप्टर शामिल थे।
2. इसमें 76 हजार हॉर्स पावर वाला टरबाइन इंजन लगा था जो इसको 28 नॉट प्रतिघंटे की रफ्तार देता था।
3. इस युद्धपोत को डेढ़ इंच की लोहे की चादरों से तैयार किया गया था। जिसकी वजह से इस पर हमला करके इसको घात पहुँचाना मुश्किल था।
4. इस पोत पर 12 डिग्री कोण वाला एक स्कीजंप लगा था जो सी हैरीयर क्लास के फाइटर प्लेन को उड़ाने के लिए जरूरी होता है।
5. इस पोत पर एक साथ 750 कर्मी एक समय में रह सकते थे। इसके अलावा इस पर चार लेंडिंग क्राफ्ट भी थे जिनका इस्तेमाल सैनिकों को तट तक छोड़ने में किया जाता था। इस पर 80 से अधिक हल्के टारपिडो को रखा जा सकता था।
6. आईएनएस विराट पहले रॉयल नेवी का हिस्सा था इसका नाम पहले एचएमएसथा। इस युध्हपोत ने 1982 में फ़ॉकलैंड्स युद्ध के दौरान रॉयल नेवी की टास्क फोर्स के प्रमुख के रूप में सेवा की। इसके बाद हर्मेस को पोर्ट्समाउथ डॉकयार्ड से डेवोनपोर्ट डॉकयार्ड में ले जाया गया और भारत को बेच दिया गया।
7. दुश्मन के छक्के छुड़ाने के लिए इस पर 40 एमएम की दो बोफोर्स एए गन लगी थीं। इसके अलावा बराक एसएएम वीएल मिसाइल भी इस पर मौजूद थीं। यह किसी भी आपात स्थिति में आसमान में मौजूद दुश्मन को पलक झपकते ही खत्म कर सकती थी।
8. नेवी के युद्धपोत की तरह इसका भी एक आदर्श वाक्य था – “जलमेव यस्य बलमेव तस्य” जिसका अर्थ है जो समुद्र को नियंत्रित करता है वह सबसे शक्तिशाली है।