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नई सरकार बनने के बाद होगा इन बैंको का विलय, ग्राहकों को उठानी पड़ सकती है परेशानी

नई सरकार बनने के बाद होगा इन बैंको का विलय, ग्राहकों को उठानी पड़ सकती है परेशानी

लोकसभा चुनावों का नतीजा कल सबके सामने आ जायेगा और उसके बाद नई सरकार देश के नेतृत्व का वहन करने में लग जाएगी। इसी बीच यह ख़बरें आ रही है कि सरकार के आते ही वह बैंकिंग सेक्टर में बड़े बदलाव ला सकती है। सूत्रों कि माने तो बैंक ऑफ़ बड़ोदा में विजया बैंक और देना बैंक के विलय के बाद तीन महीनो के भीतर ही अब सरकार एक और बड़े बैंक में छोटे बैंको का विलय करने की तैयारी में है। ऐसा करने से बहुत सारे समीकरण बदल जायेंगे। आइये आपको बताते हैं कि किन बैंकों का हो सकता है विलय।

नई सरकार बनने के बाद होगा इन बैंको का विलय, ग्राहकों को उठानी पड़ सकती है परेशानी

इन बैंकों का होगा विलय

पंजाब नेशनल बैंक बैंकिंग सेक्टर के अगले दौर में सार्वजनिक क्षेत्र के दो-तीन छोटे बैंकों को अपने नियंत्रण में ले सकता है। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि अधिग्रहण के लिए तैयार इन छोटे बैंकों में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, आंध्रा बैंक और इलाहाबाद बैंक शामिल हैं। पीएनबी अगले तीन महीनों में इन बैंकों को विलय करने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। हालांकि, पीएनबी द्वारा या इन तीनों बैंकों या वित्त मंत्रालय द्वारा इस ख़बर की पुष्टि नहीं की गई है। इस साल की शुरुआत में अटकलें थीं कि सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ छोटे बैंकों के साथ पीएनबी का विलय होगा। हालांकि, पीएनबी द्वारा इन रिपोर्टों को झूठा ठहरा दिया था।

इसी वर्ष हुए देना बैंक और विजया बैंक के साथ पहले तीन-तरफा विलय के साथ, बैंक ऑफ बड़ौदा अब 9,500 से अधिक शाखाओं, 13,400 एटीएम और 85,000 कर्मचारियों के साथ भारतीय स्टेट बैंक के बाद दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का ऋणदाता बन गया है। बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ देना बैंक और विजया बैंक का विलय एक अप्रैल से प्रभावी हो गया।

नई सरकार बनने के बाद होगा इन बैंको का विलय, ग्राहकों को उठानी पड़ सकती है परेशानी

क्या है विलय करने का कारण

भारत छोटे सरकारी बैंकों के साथ छोटे सार्वजनिक बैंकों को विलय करके अपने बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। यह फैसला भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में खराब ऋणों को कम करने, परिचालन को सुव्यवस्थित करने और परिचालन लागत में कटौती करने के उद्देश्य से लिया गया है। बैंकों को विलय करने से बैंको की ऋण देने की क्षमता बढ़ेगी और वैश्विक स्तर पर सरकारी बैंक प्रतिस्पर्धा भी कर सकेंगे। विलय करने से इन बैंकों को अपनी गुणवत्ता बढ़ाने में मदद मिलेगी।

क्या होगा ग्राहकों पर विलय का असर

इस विलय से बैंकों के ग्राहकों को कोई आर्थिक नुकसान नहीं होगा, क्यूंकि विलय के विषय में जानकारी बैंक अपने ग्राहकों को पहले से ही दे देगा। हालांकि, विलय के कारण ग्राहकों को थोड़ी परेशानी तो उठानी ही पड़ेगी। इन बैंकों के खाताधारकों को नए चेकबुक, पासबुक बनवाने पड़ेंगे और इसके लिए बैंक ग्राहकों को पूरा समय देगा।

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