जुलाई माह में इस दिन से शुरू हो रहा है गुप्त नवरात्र, मिलेगा पूजा का विशेष फल
नवरात्र के 9 दिन सुख समृद्धिदायक होते हैं| दुर्गा माँ की पूजा मनुष्य अपने अंदर उपस्थित दैत्य, रोग, पाप, शत्रु आदि का विनाश करने के लिए करता हैं| वैसे तो साल में दो नवरात्र होते हैं लेकिन इसके अलावा दो और भी नवरात्र पड़ते हैं जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं| यह आषाढ़ और माघ के गुप्त नवरात्र होते हैं| चैत्र माह में पड़ने वाले नवरात्र को शारदीय नवरात्र कहते हैं| इस माह में माँ दुर्गा की पुजा करने पर विशेष लाभ की प्राप्ति होती हैं| मान्यता हैं की जो लोग तंत्र विद्या में विश्वास रखते हैं उनके लिए गुप्त नवरात्र खास होता हैं|
तांत्रिको के लिए हैं महत्वपूर्ण
नवरात्र के दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की विशेष पुजा बड़े विधि-विधान से की जाती हैं| ऐसे नवरात्र साल मे दो बार आते हैं| जिनको की चैत्र और शारदीय नवरात्र के रूप में जाना जाता हैं| धार्मिक जानकारों के अनुसार साल में दो नवरात्र और भी होते हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं| इसको गुप्त नवरात्र के रूप में जाना जाता हैं| मान्यता हैं की इस नवरात्र में माँ दुर्गा की आराधना चैत्र और शारदीय नवरात्रो से बहुत कठिन होता हैं| इस नवरात्र को गुप्त नवरात्र के रूप में इस लिये जाना जाता हैं क्योंकि इसमें माँ दुर्गा की आराधना गुप्त रूप से की जाती हैं| यह नवरात्रि तांत्रिको के लिए काफी महत्वपूर्ण होता हैं|
13 जुलाई से होंगे शुरू
गुप्त नवरात्र माघ और आषाढ़ में मनाया जाता हैं| इस साल यह 13 जुलाई से आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि शुरू होंगी| इसकी पुजा 13 जुलाई से 21 जुलाई तक की जाएगी|
यह हैं कथा
गुप्त नवरात्र को मनाने की पीछे एक पौराणिक कथा हैं| आइए जानते हैं इसके बारे में, एक बार अपने अनुयायियों के साथ ऋषि श्रंगी बैठे थे| तभी वहाँ एक स्त्री आयी और उनसे बोली की उसके पति गलत आदतों में पड़ गए हैं जिसकी वजह से वह धार्मिक कार्य नहीं कर पाती हैं| उसके पति के गलत आदतों के कारण उसे माँ की कृपा प्राप्त नहीं हो पा रही है| स्त्री की बात सुनकर ऋषि बोले के चैत्र और शारदीय नवरात्र के बारे में सभी जानते हैं लेकिन इसके अलावा वर्ष में दो और गुप्त नवरात्र होते हैं|
इस गुप्त नवरात्र में माँ की 10 महाविद्याओं की आराधना की जाती हैं| यदि तुम इस गुप्त नवरात्र की आराधना करो तो तुम्हें माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होगी| स्त्री ने ऋषि के द्वारा बताए गए बातों को मानते हुये इस व्रत का अनुसरण किया और उसका पति सही रास्ते पर आ गया| इसके साथ ही उस स्त्री के घर की खुशियाँ वापस आ गयी|