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अमरनाथ की गुफा के बारे में ये रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया, जानकर हैरान हो जाएंगे आप

अमरनाथ की गुफा के बारे में ये रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया, जानकर हैरान हो जाएंगे आप

अमरनाथ हिन्दुओं का प्रमुख धार्मिक तीर्थस्‍थल है। कश्मीर के श्रीनगर में स्थित यह पावन गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। प्राचीनकाल में इसे अमरेश्वर भी कहा जाता था। लेकिन क्या आप यह जानते है कि अमरनाथ गुफा की खोज किसने की ? यह बात बहुत ही कम लोग जानते है। तो चलिए आज हम आपको ऐसी ही अमरनाथ से जुड़ी 6 खास बातें बताते है, जिसे जानना आपको काफी जरूरी है।

सबसे पहले किसने की अमरनाथ गुफा की खोज

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लोगो की मान्यताओं कि माने तो इस गुफा की खोज बूटा मलिक नाम के एक मुस्लिम ने की थी। वह एक दिन भेड़ चराते हुए काफी दूर निकल गया और एक जंगल में पहुंच गया, जहाँ उसकी मुलाकात एक साधु से हुई। उस साधु ने बूटा मलिक को कोयले से भरी एक कांगड़ी दे दी, जिसे लेकर वह अपने घर गया। जब घर पहुंचकर उसने कोयला निकला तो उसे कोयले की जगह सोना मिला, जिसे देखकर वह बहुत हैरान हो गया। उसी समय वह साधु का धन्यवाद करने उसी दिशा में गया लेकिन वहां साधु को न पाकर एक विशाल गुफा को देखा। उसी दिन से यह स्थान एक तीर्थ बन गया।

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यहां शिव ने पार्वती को सुनाई थी, अमरकथा

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हिन्दुओं के लिए अमरनाथ गुफा का महत्व इसलिए काफी विशेष है क्योकि यहां बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग के साथ ही साथ इस गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।

अमरकथा सुनाने से पहले छोड़ दिया था, सभी का साथ

धार्मिक मान्यताओं की माने तो भगवान शिव जब माता पार्वती को अमरकथा सुनाने वाले थे तो यह अमरकथा कोई और न सुन ले इसलिए भगवान शिव ने पहले ही सभी का त्याग कर दिया था। भगवान शिव जब पार्वती को अमरकथा सुनाने ले जा रहे थे, तब उन्होंने रास्ते में सबसे पहले पहलगाम में अपने नंदी का परित्याग किया। इसके बाद चंदनबाड़ी में अपनी जटा से चंद्रमा को मुक्त किया। शेषनाग नामक झील पर पहुंच कर उन्होंने गले से सर्पों को भी उतार दिया। फिर श्रीगणेश को भी उन्होंने महागुणस पर्वत पर छोड़ देने का निश्चय किया। अंत में पंचतरणी नामक स्थान पर पहुंच कर भगवान शिव ने पांचों तत्वों का भी परित्याग कर दिया था।

माता पार्वती के अलावा किसी और ने भी सुनी थी, अमरकथा

शास्त्रों के अनुसार माता पार्वती जब यह कथा सुन रही तब उनके साथ ही साथ अमरकथा के रहस्य को शुक (तोता) और दो कबूतरों ने भी सुन लिया था। यह शुक बाद में शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गए और गुफा में आज भी कई श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई देता है, जिन्हें अमर पक्षी माना जाता है।

अद्भुत है यहां के शिवलिंग का रहस्य

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देखा जाए तो अमरनाथ गुफा के अंदर बनने वाला शिवलिंग पक्की बर्फ का बनता है जबकि गुफा के बाहर मीलों तक कच्ची बर्फ ही पायी जाती है। सभी जगह कच्ची बर्फ होने के बावजूद भी शिवलिंग पर पक्की बर्फ का होना यह आज तक एक रहस्य की बात है।

यहां गिरा था देवी सती का कंठ

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श्री अमरनाथ गुफा में देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ स्थापित है, मान्यता है कि यहां देवी सती का कंठ भाग गिरा था और यहां पर देवी सती को महामाया और भगवान शिव को त्रिसंध्येश्वर कहा जाता हैं।

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