अंगारकी चतुर्थी 2018: जानें क्या है अंगारकी चतुर्थी का महत्व, व्रत विधी व पूजन विधी
हिन्दू पंचांग के मुताबिक, हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। ऐसे में यदि विनायकी चतुर्थी का यह व्रत मंगलवार को पड़ता है, तो इसे अंगारक गणेश चतुर्थी कहते हैं और इस साल यह व्रत 11 दिसंबर, मंगलवार को पड़ रहा हैं| इस दिन भगवान गणेश की पूजा विधि-विधान पूर्वक की जाती हैं और यदि यह पूजा सच्चे मन से किया जाए तो आपकी हर मनोकामना पूरी होती हैं| ऐसे में यदि आप अंगारकी चतुर्थी का व्रत इस विधि से करते हैं तो आपकी सभी मनोकामना पूरी हो जाएगी|
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व्रत विधि
(1) आप सुबह जल्दी उठकर स्नान कर ले और अपने सभी काम जल्दी ही निपटा लें और फिर दोपहर के समय अपनी इच्छा के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
(2) संकल्प मंत्र के बाद भगवान श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें और अब श्री गणेश जी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ा दें। इसके बाद गणेश मंत्र ‘ऊँ गं गणपतयै नम:’ का जाप करते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ा दे|
(3) इतना करने के बाद अब बूंदी के 21 लड्डुओं का गणेश जी को भोग लगाएं और इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास रख दें तथा 5 ब्राह्मण को दान कर दें| बाकी बचे हुये लड्डू को प्रसाद के रूप में बांट दें।
(4) श्री गणेश की पूजा करते समय श्रीगणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत इत्यादि का पाठ करें। इसके अलावा ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देने के बाद ही शाम को स्वयं भोजन ग्रहण करें।
(5) यदि संभव हो तो उपवास करें क्योंकि इस व्रत को आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर भगवान श्री गणेश की कृपा से आपकी हर मनोकामना पूरी होगी और आप हमेशा सफलता को प्राप्त करेंगे|