पापमोचनी एकादशी 2019: इस दिन ऐसा करने से मिलती है हर तरह के पापों से मुक्ति
हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक हर साल 24 एकादशियां पड़ती हैं लेकिन मलमास या अधिकमास के कारण ये 26 हो जाती हैं| दरअसल हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता हैं कि इस पूरे विश्व में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति कभी ना कभी कोई पाप अवश्य करता हैं, भले ही वो पाप अनजाने में ही क्यों ना हुआ हुआ हो| पाप से तात्पर्य हैं कि मनुष्य से किसी ना किसी प्रकार कोई गलती हो जाती हैं और इसका दंड भी उसे भुगतना पड़ता हैं| लेकिन शास्त्रों में हर समस्या का निदान दिया गया हैं और ऐसे ही आप अपने पापों के दंड से बचने के लिए पापमोचनी एकादशी का व्रत करे, पुराणों के मुताबिक चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहते हैं।
पापमोचनी एकादशी व्रत कथा
चैत्ररथ नामक सुन्दर वन में च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी तपस्या कर रहे थे और इस वन में एक दिन मंजुघोषा नामक अप्सरा की नज़र ऋषि पर पड़ी और वह उनपर मोहित हो गयी| इसके बाद मंजुघोषा उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने हेतु प्रयत्न करने लगी। ऐसे में कामदेव की नजर मंजुघोषा के ऊपर पड़ी और वो उसकी मनोभाव समझ कर उसकी सहायता करने लगे| कामदेव की सहायता पाकर मंजुघोषा अपने प्रयत्न में सफल हुयी और ऋषि कामपीड़ित हो गए और वो काम के इतने वश में हो गए कि वो भगवान शिव का व्रत करना भूल गए|
कई वर्षो पश्चात जब उनकी चेतना जगी और फिर उन्होने मंजुघोषा को अपनी तपस्या भंग करने का दोषी माना और उसे श्राप दिया कि तुम पिशाचिनी बन जाओ| यह श्राप सुनते ही वो ऋषि के पैरों में गिर पड़ी और श्राप से छुटकारा पाने के लिए विनती करने लगी| इसके बाद ऋषि ने उसे विधि सहित चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। इतना ही नहीं ऋषि ने भी इस व्रत को स्वयं किया क्योंकि भोग में लिन होने के कारण उनक तेज नष्ट हो गया था| इस व्रत को करने के बाद मंजुघोषा के ऊपर से श्राप का अंत हुआ और वो फिर से एक सुंदर कन्या बन स्वर्ग को चली गयी|
इस दिन विष्णु जी की होती है पूजा
इस व्रत के बारे में भविष्योत्तर पुराण में विस्तार से वर्णन किया गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस व्रत में भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा की जाती है और व्रत का आरंभ दशमी तिथि से ही हो जाता है। व्रत करने के लिए उस दिन आप एक बार सात्विक भोजन करे और फिर अपने मन से भोग विलास की भावना को त्यागकर भगवान विष्णु की प्रार्थना करें। इसके बाद पापमोचिनी एकादशी के दिन प्रात: काल स्नान कर व्रत का संकल्प ले।
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व्रत संकल्प के पश्चात षोड्षोपचार सहित भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा समाप्त होने के बाद भगवान के सामने बैठकर व्रत की कथा का पाठ या फिर श्रवण करें। ऐसा माना जाता हैं कि एकादशी तिथि को जागरण करने से कई गुणा पुण्य मिलता है, अत: रात में निराहार रहकर भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें और फिर द्वादशी तिथि के दिन प्रात: काल स्नान कर ले, इसके पश्चात भगवान विष्णु की पूजा करें| पूजा करने के बाद ब्रह्मणों को भोजन कराये और उन्हें दान-दक्षिणा देकर विदा करें अंत में स्वयं भोजन ग्रहण करे|