हिंदी दिवस 2019ः हिंदी ने देश के आर्थिक विकास की गति को भी दिया है बढ़ावा, जाने कैसे
हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता हैं| हालांकि हिंदी लेखन की भाषा के तौर पर पूरे देश मे स्थापित नहीं हो पाई हो लेकिन हिंदी समझने वाले और बोलने वाले अब पूरे देश में देखने को मिल जाते हैं, उतर पूर्व अरुणाचल प्रदेश से लेकर तमाम राज्यों में आपको हिंदी बोलने और समझने वाले लोग मिल जाएंगे। भले ही उनकी हिन्दी में वो शुद्धता ना हो जैसा आप सुनना चाहते हो| दरअसल हिन्दी भाषा का सबसे ज्यादा विरोध दक्षिण भारत के राज्यों में होता हैं| लेकिन अब यहाँ भी लोग हिन्दी बोलते और समझते हैं| भले ही कई राज्यों में हिन्दी मातृभाषा नहीं रही लेकिन हिन्दी भाषा ने वहाँ भी अपनी पकड़ मजबूत की हैं| हिन्दी को बढ़ावा देने में संचार के नए माध्यम जिसमें व्हाट्सएप, फेसबुक ने काफी अहम भूमिका निभाई हैं|
सरकारी बैठकों में बोलचाल की भाषा
आज के समय में हिन्दी भले ही राजभाषा नहीं बन पायी हैं लेकिन हिंदी राष्ट्रभाषा जरूर बन गई है क्योंकि देश की ज़्यादातर जनसंख्या हिन्दी बोलती हैं| दरअसल कई राज्यों में सरकारी काम भले ही हिन्दी में ना होते हो लेकिन वो बोलचाल में हिन्दी का जरूर प्रयोग करते हैं| दरअसल आजादी के बाद देश की आर्थिक विकास तेजी से हुयी हैं, ऐसा लोगों के आपसी मेलजोल के कारण ही संभव हो पाया हैं|
देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रोजगार पैदा करने के लिए भिलाई, दुर्गापुर, बोकारो जैसे शहरों में बड़े-बड़े स्टील प्लांट लगवाए, इन प्लांटों ने आर्थिक विकास के साथ हिंदी का भी विकास किया क्योंकि इन प्लांटों में तमाम गैर हिन्दी भाषी लोग आकर काम करने लगे और वो भी हिन्दी को समझने और बोलने लगे| दरअसल दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में ज़्यादातर आटो और टॅक्सी ड्राइवर हिन्दी भाषी हैं, ये उत्तर प्रदेश और बिहार से आते हैं| इसलिए इन शहरों के लोगों को अँग्रेजी के बजाय हिन्दी भाषा का इस्तेमाल करना एक तरह से मजबूरी बन गयी, ये भले ही हिन्दी तिथि-फूटी बोलते हैं| लेकिन इन्हें हिन्दी समझ में आती हैं|
फिल्मों और धारावाहिक का हिंदी प्रचार-प्रसार में योगदान
1990 के दशक में आई दूरसंचार क्रांति ने मनोरंजन से संबंधित टीवी चैनलों का खासा विस्तार किया और इसका सबसे ज्यादा लाभ हिंदी भाषा को मिला। हिंदी धारावाहिक उत्तर भारतीय राज्यों से लेकर दक्षिण भारतीय राज्यों में खासा लोकप्रिय हुआ हैं| दरअसल टीवी धारावाहिको में गुजराती साड़ी पहनकर एक्टिंग करने वाली एक्ट्रेस की बोल-चाल की भाषा हिंदी होती है। इस तरह से गुजरात के साड़ी निर्माण करने वाली कंपनी को लाभ होता है तो दूसरी ओर हिंदी भाषा का प्रचार भी होता है। वहीं बॉलीवुड की फिल्में हिन्दी भाषा में ही बनाई जाती हैं, जिसके कारण इस इंडस्ट्री में कदम रखने वाले दक्षिण भारत से आने वाले लोगों को भी हिन्दी बोलना और समझना पड़ता हैं|
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