पूजा में क्यों किया जाता है नारियल का प्रयोग, जानें आखिर क्या है इसका महत्व
हिन्दू धर्म में पेड़-पौधों के गुण-धर्म की पहचान करके ही उसे धर्म से जोड़ा गया हैं और उन्हीं पेड़ो में से एक नारियल का पेड़ हैं, जिसे धर्म से जोड़ा गया हैं| दरअसल हिन्दू धर्म में नारियल का बहुत महत्व हैं और हिन्दू धर्म में नारियल को बहुत शुभ माना जाता हैं, यहीं कारण हैं कि मंदिरों में नारियल चढ़ाने और फोड़ने का रिवाज हैं| बता दें कि नारियल को श्रीफल भी कहा जाता हैं| धार्मिक मान्यता के मुताबिक हर शुभ कार्य में नारियल चढ़ाया जाता हैं और ऐसा कहा जाता हैं कि नारियल को फोड़कर भगवान को चढ़ाना शुभ होता हैं|
पूजा की सामग्रियों में नारियल का विशेष स्थान हैं और बिना नारियल पूजा अधूरी मानी जाती हैं| नारियल को लेकर ऐसी मान्यता हैं कि यदि आप पूरी श्रद्धा के साथ भगवान को नारियल चढ़ाते हैं तो आपके सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और धन की भी प्राप्ति होती हैं| इतना ही नहीं यदि आप प्रसाद स्वरूप नारियल ग्रहण कटे हैं तो आपके शरीर की दुर्बलता दूर होती हैं|
ऐसे में आइए जानते हैं कि पूजा में नारियल के उपयोग का क्या है खास महत्व
(1) नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष के नाम से भी जाना जाता है और इसमें तीन देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है।
(2) नारियल भगवान शिव को बहुत पसंद है और इसमें बनी तीन आंखों की तुलना भगवान शिव के त्रिनेत्र से की जाती है।
(3) ज्योतिष के मुताबिक नारियल या श्रीफल समृद्धि, शुभ, उन्नति और सम्मान का सूचक होता है।
(4) नारियल को लेकर ऐसी मान्यता हैं कि भगवान विष्णु पृथ्वी पर अवतार लेते समय लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष और कामधेनु को अपने साथ लाए थे।
नारियल फोड़ने के पीछे क्या है मान्यता
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पुराणों के मुताबिक ऋषि विश्वामित्र एक बार इन्द्र से नाराज हो गए और उन्होने दूसरे स्वर्ग की रचना करने की ठान ली क्योंकि वो उस स्वर्ग से असंतुष्ट थे और वो दूसरी सृष्टि बनाने लगे और इस क्रम में उन्होने सबसे पहले मानव के प्रतीक के रूप में नारियल बनाया और इस कारण नारियल के खोल पर बाहर से दो आंखें और एक मुख सी संरचना दिखाई पड़ती है| ऐसे में जब कोई व्यक्ति नारियल फोड़ता हैं तो ऐसा माना जाता हैं कि उसने स्वयं को अपने इष्ट देव के चरणों में समर्पित कर दिया है और उसका स्वयं का कोई भी, किसी भी तरह का अस्तित्व नहीं रहा है|