सावन शिवरात्रि का क्या है महत्व, शिवजी के पास क्यों है डमरू, त्रिशूल और नाग
सावन का महिना शुरू हो चुका हैं और सावन का महिना भगवान शिव को समर्पित हैं| सावन की शिवरात्रि भगवान शिव जी की आराधना करने का पवित्र दिन माना जाता है। सावन के शिवरात्रि को बोधोत्सव भी कहते है। इसे बोधोत्सव इसलिए कहाँ जाता हैं क्योंकि यह हमें बोध कराता हैं की हम भी भगवान शिव के अंश हैं और हमें उनका संरक्षण प्राप्त हैं| शिवरात्रि का पर्व शिव और शक्ति का अभिसरण है। जो व्यक्ति बैल को वाहन के रूप में स्वीकारता हैं उसे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं|
इस दिन प्रकृति इन्सानो को अपने आध्यात्मिक चरम सीमा पर पहुंचने के लिए प्रेरित करती है। इस दिन व्रत करने से मनुष्य की हिंसक प्रवृत्ति बदल जाती है और जीवों के प्रति मन में दया भाव उत्पन्न होती हैं| देवताओं में भगवान शिव का रूप थोड़ा विचित्र लेकिन बहुत ही आकर्षक हैं। भगवान शिव अपने शरीर पर कुछ चीजें धारण करते हैं, जिसका बहुत व्यापक अर्थ होता हैं। शिव जी की जटाएं अंतरिक्ष का प्रतीक और चंद्रमा मन का प्रतीक माना जाता है।
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मान्यता हैं कि भगवान शिव का मन चंद्रमा की तरह भोला, उज्ज्वल, निर्मल और जाग्रत है। भगवान शिव की तीन आंखें हैं, जिसकी वजह से उन्हें त्रिलोचन भी कहाँ जाता हैं। शिव जी की आंखें सत्व, रज, तम (तीनों गुणो) और भूत, वर्तमान, भविष्य ( तीनों कालो ) स्वर्ग, मृत्यु और पाताल (तीनों लोकों) के प्रतीक हैं। शिव जी गले में सर्प जैसा हिंसक पशु भी उनके अधीन है। त्रिशूल भगवान शिव के हाथ में एक मारक शस्त्र है। त्रिशूल भौतिक, दैविक और आध्यात्मिक इन तीनों तापों को नष्ट करता है।
भगवान शिव के हाथ में डमरू है, जिसे वह तांडव नृत्य करते समय बजाते हैं। इसके अलावा शिव के गले में मुंडमाला है जो यह एहसास दिलाता हैं कि शिव ने मृत्यु को भी वश में किया है और भगवान शिव ने अपने शरीर पर बाघ की खाल भी पहनी हुई है। बाघ जैसा पशु हिंसा और अहंकार का प्रतीक होता है। इसका मतलब है कि भगवान शिव ने हिंसा और अहंकार का भी दमन कर लिया है। भगवान शिव के शरीर पर भस्म लगी रहती है और शिवलिंग का अभिषेक भी भस्म से ही किया जाता है।
भस्म यह बताता है कि यह संसार नश्वर है। भगवान शिव का वाहन बैल हैं जो हमेशा उनके साथ रहता है और यह धर्म का प्रतीक है। भगवान शिव इस चार पैर वाले जानवर की सवारी करते हैं| यह जानवर बताता हैं की धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष उनकी कृपा से ही मिलते हैं। इस तरीके से भगवान शिव का स्वरूप हमें बताता है कि उनका रूप विराट और अनंत है और उनकी महिमा अपरम-पार है। भगवान शिव में ही सारी सृष्टि समाई हुई है।