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अभिनंंदन से पहले पाकिस्तान ने जिस भारतीय पायलट को पकड़ा था, उसके साथ हुआ था ऐसा

अभिनंंदन से पहले पाकिस्तान ने जिस भारतीय पायलट को पकड़ा था, उसके साथ हुआ था ऐसा

बीते दिनों भारतीय वायुसेना के जांबाजों ने पाकिस्तान के सीमा में घुस कर जैश-ए-मोहम्मद की कैंपो को तबाह कर दिया और इस कारवाई में लगभग 300 आतंकियों के मारे जाने की खबर हैं| लेकिन इस कारवाई में भारत का एक पायलट उनके हाथ लग गया हैं और इस बात की पुष्टि भारतीय वायुसेना ने की हैं| अब भारतीय सरकार लापता पायलट को वापस भारत लाने की कोशिश कर रही हैं, ऐसे में 20 साल पहले की बात याद आती हैं, जब कारगिल के युद्ध में एक भारतीय पायलट पाकिस्तान आर्मी के कब्जे में आ गया था| ऐसे में आइए जानते हैं कि 20 साल पहले भारतीय सरकार ने पाकिस्तान के कब्जे में आए भारतीय पायलट नचिकेता को वापस कैसे भारत लाया था|

अभिनंंदन से पहले पाकिस्तान ने जिस भारतीय पायलट को पकड़ा था, उसके साथ हुआ था ऐसा

नचिकेता ऐसे लगे पाकिस्तान आर्मी के हाथ

IAF के फाइटर पायलट के.नचिकेता को 3 जून 1999 में ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ में MIG 27 उड़ाने का काम सौपा गया था और उन्होने 17 हजार फुट से रॉकेट दागे थे| लेकिन इस बीच उनके प्लेन का इंजन खराब हो गया और MIG 27 क्रैश हो गया, इसके बाद नचिकेता को पाकिस्तानी आर्मी ने अपने कब्जे में ले लिया, कैद में लेने के बाद पाकिस्तानी आर्मी ने उनको मानसिक और शारीरिक रूप टॉर्चर किया| इस बारे में नचिकेता ने बताया कि वो उन्हें इस लिए प्रताड़ित कर रहे थे ताकि वो उन्हें भारतीय वायुसेना के बारे में जानकारी दूँ|

नचिकेता की रिहाई इस व्यक्ति ने कराई थी

एक रिपोर्ट के मुताबिक नचिकेता की रिहाई में पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त जी पार्थसारथी का हाथ था| उन्होने ही पाकिस्तान सरकार से नचिकेता की रिहाई की बात की थी| इस बारे में पार्थसारथी का कहना था कि ‘मुझे स्वदेशी कार्यालय से फोन आया और कहा गया कि मैं वहाँ से अपने पायलट को वापस लेकर आऊं’ क्योंकि नवाज शरीफ की सरकार ने नचिकेता की रिहाई का ऐलान कर दिया था| इसके आगे उन्होने बताया कि विदेश मंत्रालय का ऑफिस जिन्ना रोड पर और वहाँ पर प्रेस क्रॉन्फ्रेस हो रही थी| लेकिन उस जगह जाने से मैंने साफ माना कर दिया| दरअसल उस समय पाकिस्तान सरकार शोर मचाकर यह जाताना चाह रहा था कि वह बड़ा दिलवाला हैं|

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अभिनंंदन से पहले पाकिस्तान ने जिस भारतीय पायलट को पकड़ा था, उसके साथ हुआ था ऐसा

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिनेवा संधि के तहत किसी भी युद्धबंदी को किसी भी तरह का अमानवीय व्यवहार नहीं किया जा सकता हैं और इसके साथ ही युद्ध बंदी को किसी भी प्रकार से डराया या धमकाया नहीं जा सकता हैं| हालांकि पाकिस्तान सरकार ने गिरफ्त में आए नचिकेता को 8 दिन के अंदर रिहा कर दिया गया था| नचिकेता वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत वापस आए थे और यहाँ पर उनके स्वागत के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायण और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे|

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