GB रोड के कोठे से लेकर मतदान केंद्र तक का ये सच जानकर, आप भी हो जाएंगे हैरान
भारत मे करीब 135 करोड़ जनसंख्या है, जिसमे विभिन्न जातीय जैसे हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और अनेको धर्म के लोग रहते है. लेकिन इन सबके बीच एक ओर ऐसा भी तबका निवास करता हे जो कभी किसी के सामने नहीं आता और ना कोई इनके बारे मे या इनकी बाते सामान्य जीवन मे पेश करता है. ये महिला बदनाम गालियों मे रहकर अपने जीवन और भविष्य की चिंता ना करते हुए अपनी सारी यातनाओ को भुला कर बस अपने रोजी-रोटी कमाने मे लगी रहती है.
GB रोड से जुड़ी मतदान की ये दिलचस्प कहानी
हम बात कर रहे है दिल्ली की वो बदनाम गालिया जिसे GB रोड यानी गारस्टिन बास्टिन रोड के नाम से जाना जाता है. चुनाव का मौसम हे हर जगह नेताजी और उनके पार्टिया हर जगह अपना रैली करेंगे घूमेंगे वादे करेंगे लेकिन इन कोठों की महिलाओ का क्या जो सिर्फ अपने रोजी रोटी के लिए इन बदनाम सीढीयो के धंधे मे लगी रहती है. इनसे ना कोई आरक्षण का वादा करता है ना कोई रोजगार का ,बस वे ऐसे लोग के लिए वोट देने के लिए मान जाते जो इन्हे ये पेट भरने के लिए ये धंधा करने की इजाजत दे.
आपको बता दे की सांसद की 543 सीटे भरने के लिए एक बार फिर चुनाव होगा इस लोकतंत्र के महापर्व मे एक विशेष आबादी ये भी है. जिनकी कुल आबादी हिंदुस्तान के अलग अलग कोठों को मिलाकर लगभग पचास लाख तक होगा और इन्हे भारत का संविधान इन्हें वोट करने का अधिकार भी देता है.
ये खेल आज से नहीं कई बरसो से चला आ रहा है लेकिन 70 सालो के इस खेल मे अनेको सत्ता आयी और चली भी गयी लेकिन इन कोठों की महिलाओ से ना तो को वादा किया जाता है ना इन्हे इस असंवैधानिक धंधे को संशोधन करने प्रयास या इससे कोई अच्छी रोजगार का प्रदान क्ररने का वादा किया जाता है. लेकिन चुनाव का मौसम हे अगर कोई नेता छुपते छुपाते यहा आ भी जाए तो वो पांच सालो तक यहां वापस नहीं आता.
आपको बता दे की लोकतंत्र के सबसे बड़ी मंदिर और GB रोड की बदनाम सीढ़ियो का अंतर सिर्फ पांच किलोमीटर तक का है. इन तंग गलियो मे रेह्ने वाले लोगो को सरकार से बस यही उम्मीद हे की इस असगंठीत धन्धे को संगठीत कर दिया जाय ओर यहा स्वास्थ, शिक्षा ,साफ-सफाइ का इंतजाम किया जाये. अगर यदी सरकार ये सुविधा भी नही प्रदान कर सक रही है तो उन्हे प्रताड़ीत न किया जाय ताकी वे अपना रोजी रोटी कमा सके.