आखिरकार मिल ही गया लैंडर विक्रम का लोकेशन, जारी है संपर्क की कोशिश
6 सितंबर, शुक्रवार की रात को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के समय इसरो का लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया था। दरअसल 13 मिनट 48 सेकेंड तक सारी प्रक्रिया इसरो के वैज्ञानिकों के मुताबिक चल रहा था। लेकिन अचानक से आखिरी के डेढ़ मिनट में इसरो के कंट्रोल रूम से लैंडर विक्रम का संपर्क टूट गया, लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने के बाद इसरो के सभी वैज्ञानिकों के चेहरे पर मायूसी छा गई थी। हालांकि वह बहुत देर तक लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश करते रहे लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ| लेकिन आज इसरो के वैज्ञानिको के लिए खुशी भरा दिन हैं क्योंकि इसरो के वैज्ञानिको को चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की लोकेशन मिल गयी हैं और यह चाँद की सतह पर अपनी निर्धारित लोकेशन से पाँच सौ मीटर की दूरी पर नजर आया हैं|
लैंडर विक्रम की मिल गयी लोकेशन
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चाँद के चक्कर काट रहे आर्बिटर ने लैंडर की थर्मल तस्वीर भेजी हैं और इस बात की जानकारी इसरो अध्यक्ष के सिवन ने सभी देशवासियों को दी हैं| हालांकि अभी तक लैंडर से संपर्क नहीं हो पाया हैं लेकिन लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की पूरी कोशिश की जा रही हैं| दरअसल सॉफ्ट लैंडिंग के महत्वपूर्ण पलों का गवाह बनने के लिए पीएम मोदी इसरो के बंगलूरू स्थित मुख्यालय पहुंचे थे और उनके साथ भारत के चंद्र मिशन के इतिहास का गवाह बनने के लिए देशभर से चुने हुए बच्चे भी वहाँ मौजूद थे|
बता दें कि जब इसरो के वैज्ञानिको का लैंडर विक्रम से संपर्क टूटा था और वो मायूस हो गए थे तब पीएम मोदी ने उनका हौसला अफजाई करते हुये कहा कि आप लोगों ने जो किया वह कोई छोटी उपलब्धि नहीं हैं और जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं क्योंकि हम सभी अपनी छोटी-छोटी गलतियों से ही सीखते है| आप सभी ने देश की और सभी मानव जाती कि सेवा की हैं और हमे अभी निराश नहीं होना चाहिए, आप सभी अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम पर कड़ी मेहनत करना जारी रखेंगे|
इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने अभियान को बताया था 95 प्रतिशत सफल
शनिवार को इसरो प्रमुख के सिवन ने चंद्रयान-2 मिशन को 95 फीसदी सफल बताया था। उन्होने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा था कि विक्रम लैंडर से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है। इसके आगे उन्होने कहा कि हम अगले 14 दिन तक इसके लिए कोशिश करते रहेंगे। के सिवन के कहा कि मिशन चंद्रयान-2 का आखिरी चरण ठीक से पूरा नहीं किया जा सका और उसी चरण में हमने लैंडर विक्रम से संपर्क खो दिया। बता दें कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर 7.5 साल तक काम कर सकता है।
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