फादर्स डे पर सब टीवी के कलाकारों के विचार
अक्षय केलकर (सोनी सब के ‘भाखरवाड़ी’ में अभिषेक)
मैं मूल रूप से महाराष्ट्र के दापोली का रहने वाला हूं। यह मेरे परिवार की पसंदीदा जगह है। वैसे वहां पर फिलहाल ऐसा कुछ नहीं है, जिसे हम अपना कह सकें। इसलिये, दापोली में मैं ऐसा घर और फार्म बनाने के अपने डैड के सपने को पूरा करने की दिशा में काम कर रहा हूं, जिसे हम अपना कह सकें। ऐसे तो मैं फादर्स डे नहीं मनाता लेकिन मुझे लगता है कि जिस दिन मैं अपने पिता के सपने को पूरा करूंगा, वही दिन मेरे लिये सही मायने में फादर्स डे होगा।
मेरे डैड ने जीवन के हर पड़ाव में हमेशा ही मेरा सपोर्ट किया है। अब जबकि हम जल्द ही शूटिंग शुरू करने वाले हैं तो मेरे डैड ने सेट के पास ही किराये के मकान में मेरे साथ रहने का फैसला किया है, ताकि मुझे घर का बना खाना मिल सके। मेरे डैड बहुत अच्छा खाना बनाते हैं और मुझे इस बात की खुशी है कि वह हमेशा मेरे पास होंगे। सोनी सब के ‘भाखरवड़ी’ के सेट पर जब मेरे डैड पहली बार आये थे, तो उससे जुड़ी काफी अच्छी यादें मेरे पास हैं। मुझे अभी भी याद है कि वह इस बात से कितने खुश हुए थे कि उनका बेटा एक एक्टर है।
वह एक रिक्शा ड्राइवर हैं और जब मुझे ‘भाखरवड़ी’ में रोल मिला तो वह काफी खुश थे और उन्हें मुझ पर गर्व महसूस हो रहा था। मेरे डैड को मुझ पर और मेरे भाई–बहनों पर हमेशा से ही भरोसा था कि हम जो भी कॅरियर चुनेंगे, अच्छा ही होगा। इतने सालों के बाद आज भी वह रिक्शा चलाते हैं और उनकी लगन और कड़ी मेहनत ने मुझे हर दिन ज्यादा से ज्यादा मेहनत करने के लिये प्रेरित किया है। मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं उनका बेटा हूं।
देव जोशी (सोनी सब के बालवीर रिटर्न्स के बालवीर)
मेरे डैड ने काफी संघर्ष किया है और आज वह एक सेल्फ–मेड बिजनेसमैन हैं। उन्होंने मुझे सिखाया है कि ‘जो भी तुम्हारे पास है उसमें खुश रहो’। वह इस बात पर अटल थे कि मुझे एक अच्छा इंसान बनाना है इसलिये उन्होंने हमेशा ही मुझे मेरी गलतियों का ध्यान दिलाया, चाहे कैसा भी समय हो या कोई भी आस–पास हो। वह हर हाल में मेरे साथ खड़े रहे और इस इंडस्ट्री में मेरी सफलता की खुशी उन्हें मुझसे ज्यादा है। सिर्फ मेरे साथ ‘बालवीर रिटर्न्स’ के सेट पर रहने और मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट लाने के लिये उन्होंने अहमदाबाद से मुंबई के बीच काफी सफर तय किया है।
इस लॉकडाउन ने मुझे अपने डैड के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का मौका दिया, क्योंकि उनकी फैक्ट्री भी बंद थी और वह घर पर हमारे साथ थे। इससे बाप–बेटे के रिश्ते को और बेहतर बनाने में मदद मिली। इन दिनों घर पर एक साथ रहते हुए हमने वाकई काफी अच्छी यादें संजोयी है। मेरे डैड तबला बजाते थे और मेरी मॉम और मैं गाते भी थे और डांस भी करते थे। इसलिये, डैड के साथ हर पल खूबसूरत और यादगार है।
उन्होंने रे लिये जितना किया है उसकी तुलना तो मैं कभी नहीं कर सकता, लेकिन मेरा एक सपना है कि मैं उनके लिये गुजरात में एक सुंदर–सा घर खरीद कर दूं जिसमें गार्डन हो और झूले हों, क्योंकि मेरे डैड को झूला बहुत पसंद हैं। खैर वह सपना पूरा होने में तो अभी वक्त है लेकिन फादर्स डे पर छोटी–छोटी चीजें करके ही मैं उन्हें स्पेशल महसूस कराना चाहता हूं। इस साल के दौरान मुझे अपने डैड की जरूरत समझ में आ गयी है और फादर्स डे पर मैं वही चीज खरीद कर उन्हें सरप्राइज देना चाहता हूं। साथ ही मैं कभी भी उनके लिये हैंड–मेड कार्ड बनाना नहीं भूलता, क्योंकि इसमें पर्सनल टच शामिल होता है।‘’
युक्ति कपूर (सोनी सब के मैडम सर में करिश्मा सिंह)
‘’शूटिंग रुकने की वजह से मुझे अपने होमटाऊन जयपुर जाने और अपने परिवार के साथ वक्त बिताने का मौका मिला। पिछले 4 सालों से मैं मुंबई में ही हूं और हमेशा से मैं चाहती थी कि अपने घर जा पाऊं और थोड़ा लंबे समय तक रुकूं। एक महीने या फिर उससे ज्यादा और अपने डैड के साथ वक्त बिता पाऊं। इसलिये, इस दौरान हम खूब खेले, एक–दूसरे से ढेर सारी बातें कीं, खूब सारे जोक्स सुनाये और एक साथ खूब ठहाके लगाये। बचपन से ही मैंने उनके साथ बिताये हर पल को काफी संजोकर रखा है क्योंकि आज मैं जो कुछ भी हूं, मुझे बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है। मेरे डैड ने मुझे हमेशा सिखाया कोई भी फैसला जल्दबाजी में मत लो और मैंने उनके इस सबक को पूरी जिंदगी याद रखा है। जब मैंने उनसे कहा कि मैं ‘मैडम सर’ शो में एक पुलिस वाली बनी हूं तो वह बहुत खुश हो गये और उन्होंने मुझसे पुलिस के वीडियो शेयर करना शुरू कर दिया कि वे किस तरह चलते हैं, कैसे बातें करते हैं और उनका हाव–भाव कैसा होता है। वह चाहते थे कि मैं इस किरदार में अपना सर्वश्रेष्ठ काम दिखाऊं। हर कदम पर उन्होंने मेरा साथ दिया।‘’
‘फादर्स डे’ एक ऐसा समय होता है जब हमें अपने पापा को सारा दिन स्पेशल महसूस कराने का मौका मिलता है, जैसा कि वो करते हैं। इसलिये, मैं इस दिन हमेशा ही उनके लिये कार्ड और केक जरूर भिजवाती हूं। इससे उनके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वह मेरे लिये बेशकीमती होता है। इस साल चूंकि मैं उनके साथ हूं मैंने सोचा कि खुद उनके लिये केक बनाऊंगी और मुझे पूरा विश्वास है कि उन्हें यह अच्छा लगेगा।‘’
अक्षिता मुद्गल (सोनी सब के ‘भाखरवाड़ी’ में गायत्री)
‘’भाखरवड़ी’ की मेरी शूटिंग आमतौर पर सुबह बहुत जल्दी शुरू हो जाया करती थी और मैं रात काफी देर से घर आती थी लेकिन मेरे डैड हमेशा ही मेरे घर लौटने का इंतजार करते रहते थे और मुझसे पूछते रहते थे। इतने व्यस्त शेड्यूल की वजह से मुझे परिवार के साथ वक्त बिताने का मौका ही नहीं मिल पाता था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से घर पर रहने से मुझे अपने डैड के साथ रिश्तों को और भी मजबूत बनाने मौका मिला। हमारी काफी दिलचस्प बातचीत होती है चाहे एंटरटेनमेन्ट इंडस्ट्री के बारे में हो, या फिर मेरे शो ‘भाखरवड़ी’ के बारे में। मुझे आज भी याद है जब मैं छोटी थी, मैं पापा को काम पर जाने से पहले सिर्फ ‘बाय’ कहने के लिये सुबह जल्दी उठ जाया करती थी और शाम को उनके घर लौटने का इंतजार करती थी। यह परंपरा आज भी जारी है, बस पाला बदल गया है, अब मेरे पापा सुबह शूटिंग पर जाने से पहले मुझे ‘बाय’ कहने के लिये जल्दी उठते हैं।
‘’अपनी पूरी जिंदगी हमारे डैड हमारे लिये कितना कुछ करते हैं उसके लिये हम उनका जितना भी शुक्रिया अदा करें, कम है। मेरी यह ख्वाहिश है कि मैं किसी दिन उन्हें दुनिया की सैर पर लेकर जाऊं और मैं इस दिशा में काम भी कर रही हूं। आमतौर पर फादर्स डे के दिन मैं अपने भाई और बहन के साथ मनाती हूं और हम डैड के लिये कोई अच्छा सा सरप्राइज सोचते हैं। वह आमतौर पर कोई भी छोटा–सा गिफ्ट होता है, उन्हें शुया कहने के लिये कि वह हम सबके लिये इतने अच्छे मार्गदर्शक बने रहे। इस साल मैंने सोचा है कि उनके लिये केक बनाऊं। उन्हें खुश करने के लिये मैंने एक सरप्राइज भी सोच रखा है।‘’