इंग्लैंड के पादरी की देखरेख में हुआ था वाराणसी के इस खास चर्च का निर्माण, जानें क्या है खासियत
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कई ऐसी मशहूर जगह और घाट हैं जो कि विख्यात हैं । तो उन्ही मशहूर स्थानों में से एक स्थान के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं । वाराणसी में एक चर्च है जो कि बहुत ही स्पेशल है । इस चर्च को एक इंग्लैंड के पादरी की देखरेख में बनवाया गया था । ये बहुत बड़ा तो नहीं है लेकिन ये अपने रंग ( लाल और सफेद ) की वजह से काफी खूबसूरत नजर आता है।
इस गिरजाघर का लाल रंग प्रेम और सौहार्द के लिए प्रभु इशा मसीह के शहादत का प्रतीक है और इसका सफेद रंग यीशु की तरफ से हम सबके लिए शांति का संदेश है । इस चर्च के उपर एक बड़ा सा घंटा लगा हुआ है जो कि इसकी खूबसूरती में और चार चांद लगा देता है । जिस पादरी ने इस चर्च की नींव रखी थी उसका नाम है एलवर्ट फ्रेंटिमैन है । सन् 1879 में इन्हें यहां अंग्रेजी हुकूमत ने भेजा था ।
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उन्हीं की देख रेख़ में इस चर्च का निर्माण हुआ। इस चर्च के पहले पादरी भारत से ही बने थे । उस भारतीय पादरी का नाम इश्वरी लाल था और ये इस चर्च के पादरी सन् 1887 में बनें । देश आजाद होने से पहले यहां अंग्रेज फौजी ही आराधना किया करते थे । फिलहाल में इस चर्च के पादरी संजय दान हैं । इस चर्च में अंग्रेजी के साथ – साथ कभी कभी उर्दू और हिंदी में भी प्रार्थना होती है । लाल गिरजा चर्च से जुड़ा हर सदस्य अपनी कमाई का दसवां हिस्सा चर्च को देता है ।
यहां इस चर्च को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं । अगर आपने अभी तक इस चर्च को नहीं देखा है तो आपको जरूर एक बार वाराणसी जाकर इसे देखना चाहिए । क्यूंकि इसकी शोभा देखते ही बनती है । काफी अद्भुत दिखता है यह वाराणसी का लाल गिरजा चर्च ।