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तकनीकी खराबी की वजह से टली Chandrayaan 2 की लॉन्चिंग, नई तारीख की घोषणा जल्द

तकनीकी खराबी की वजह से टली Chandrayaan 2 की लॉन्चिंग, नई तारीख की घोषणा जल्द

भारत के बेहद ही महत्वपूर्ण और अति महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 जो की श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सोमवार को 2.51 बजे Chandrayaan 2 का प्रक्षेपण होना था उसे फिलहाल लॉन्चिंग से ठीक पहले रोक दिया गया। बताया जा रहा है की लॉन्चिंग सिस्टम में कुछ तकनीकी दिक्कत आ जाने की वजह से तय समय से 56 मिनट पहले यह फैसला लिया गया जिस पर ना सिर्फ पूरे देश की बल्कि विश्वभर की निगाहें टिकीं हुई थीं। इसरो ने मीडिया के सामने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी, लॉन्चिंग की नई तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी।

Chandrayaan 2 : NASA ने भी माना भारत का लोहा

बता दें की Chandrayaan 2 की सफल लॉन्चिंग के साथ ही भारत के अंतरिक्ष अभियान के इतिहास में एक स्वर्णिम पन्ना जुड़ जाता। इस मिशन के साथ भारत चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश हो जाता। हालांकि अब इसके लिए कुछ और इंतजार करना पड़ेगा। आइये आपको बताते हैं मिशन चन्द्रयान 2 से जुड़ी कुछ रोचक बातें जिससे NASA भी भारत का लोहा मनाने को हो गया मजबूर।

भारत अपने Chandrayaan 2 को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है, चंद्रयान-2 का निर्माण कर अपना वर्चस्व पूरी दुनिया में स्थापित किया है क्योंकि यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब लैंडिग करेगा और ऐसा करने वाला सबसे पहला देश भारत ही है। इसके बारे में जानकारी देते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉक्टर के. सिवन ने बताया कि ‘हम 15 जुलाई को तड़के 2:51 बजे अपने सबसे प्रतिष्ठित मिशन चन्द्रयान-2 को लॉन्च करने जा रहे हैं।’ भारत ने इससे पहले भी अपना चंद्रयान-1 भेजकर चांद पर बर्फ होने की बात सामने रखी थी जिसकी पुष्टि नासा ने भी की और अब इसी मिशन को आगे बढ़ा भारत अपने महत्वाकांक्षी स्पेश मिशन चन्द्रयान-2 को लॉन्च करने जा रहा है।

तकनीकी खराबी की वजह से टली Chandrayaan 2 की लॉन्चिंग, नई तारीख की घोषणा जल्द

जब चांद पर बजा भारत का ‘डंका’

दरअसल Chandrayaan 2 को जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा जो कि भारत का सबसे ताकतवर रॉकेट है और इसे भारत का बाहुबली रॉकेट कहा जाता है। चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो है जो कि चंद्रयान-1 मिशन से करीब तीन गुना ज्यादा है। आपको आज हम चांद के सफर से जुड़ी कुछ बातें बताएंगे जिसके बारे में शायद आप जानते हो। 1959 में सोवियत संघ ने चांद के सफर की शुरुआत की थी जिसके चलते उन्होंने अपना पहला अंतरिक्ष यान लूना-2 भेजा था। चांद पर भेजे गए इस यान के बाद फिर 1960 में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपोलो-8 भेजा।

यह सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ और इस क्षेत्र में समय के साथ-साथ और तरक्की होती गयी। अभी तक तो सिर्फ अंतरिक्ष यान भेजे जा रहे थे लेकिन नासा ने 1969 में वो कर दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपोलो-11 यान से चंद्रमा पर अपने दो अंतरिक्षयात्रियों को उतारकर चांद के इस सफर को और दिलचस्प बना डाला। अमेरिका के दो अंतरिक्षयात्रियों नील आर्मस्ट्रॉन्ग और आल्ड्रिन जूनियर को 20 जुलाई 1969 में चांद की सतह पर उतरने में कामयाब हुए।

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आपको बता दें कि अपोलो-11 पर नील आर्मस्ट्रॉन्ग और आल्ड्रिन जूनियर से पहले गस गरिसम नाम के अंतरिक्षयात्री को भेजने वाले थे लेकिन अपोलो-1 के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण गस गरिसम का निधन हो गया फिर इसके बाद अपोलो-11 के लिए अपोलो-8 के कमांडर फ्रैंक बॉर्मन का प्रस्ताव रखा गया लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। इस चांद के सफर में भारत भी पीछे नहीं हटा और चंद्रयान-1 का निर्माण कर इसे चांद पर भेजा जिसके बाद चांद पर पानी होने की बात भारत ने दुनिया के सामने रखी थी जिसके बाद में नासा ने भी चंद्रयान-1 के आंकड़ों के आधार पर चंद्रमा पर बर्फ होने की पुष्टि की।

चंद्रयान-1 मिशन भारत का चांद पर पहला मिशन था जो 22 अक्टूबर, 2008 को भेजा गया था। इस चांद के सफर से प्रभावित हो एक फिल्म भी आयी थी जिसका नाम था चांद पर चढ़ाई जो 1967 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में हमारे देसी सुपरमैन दारा सिंह चांद पर दुश्मन से दो-दो हाथ करते दिखे थे।

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